पीएम मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे बहुत सारे शिक्षित एवं निपुण लोग हैं जो ‘दुनिया भर में आतंक और हिंसा फैला रहे हैं. जबकि दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो कोविड-19 जैसी महामारी से लोगों को बचाने के लिए अपना जीवन खतरे में डाल रहे हैं.’
पीएम ने कहा कि यह सिर्फ विचारधारा का नहीं बल्कि सोच का भी विषय है. पीएम ने यह बात पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही. पीएम ने कहा, ‘आपका ज्ञान, आपकी स्किल, एक समाज को, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है और वो समाज को बदनामी और बर्बादी के अंधकार में भी धकेल सकती है.
पीएम ने कहा, ‘आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं. गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया.
गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सिखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा. गुरुदेव का ये मॉडल भ्रम, त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित था इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सिखने का ऐसा स्थान बनाया जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप जो करते हैं यह बहुत कुछ आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है कि वह पॉजिटिव है या निगेटिव. मनुष्य में दोनों के लिए संभावनाएं हैं. दोनों के लिए रास्ता खुला है. समस्या अथवा समाधान का हिस्सा बनना हमारे हाथों में है. पीएम ने नई शिक्षा नीति की सराहना करते हुए उसके बारे में कहा कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह नीति अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देगी.
पीएम ने कहा कि सृजनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती. इस विचार को ध्यान में रखकर ही गुरुदेव ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की. उन्होंने कहा, ‘यह मात्र एक विश्वविद्यालय नहीं बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा है.’ इस समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे.