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विजय दिवस 2020: पीएम मोदी ने 1971 की जंग के जांबाजों को दी सलामी, वॉर मेमोरियल में जलाई विजय ज्योति

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भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 में हुए युद्ध के 50 साल होने के मौके पर पीएम मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल में स्वर्णिम विजय मशाल को प्रज्जवलित किया.

पीएम ने इस दौरान 1971 की जंग के जाबांजों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय वर्ष के लोगो का अनावरण किया. इसी के साथ पूरे साल तक चलने वाले स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह की शुरुआत हो गई है.

पीएम ने इसके साथ ही आज ‘विजय दिवस’ के अवसर पर ‘विजय ज्योति यात्रा’ को राजधानी दिल्ली से रवाना किया. ‘विजय ज्योति यात्रा’ में चार ‘विजय मशाल’ एक साल की अवधि में पूरे देश के छावनी क्षेत्रों का दौरा करेंगी. इनमें 1971 युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेता सैनिकों के गांव भी शामिल हैं. अगले साल नई दिल्ली में ही यह मशाल यात्रा पूरी होगी.

बता दें कि भारत में हर 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन भारत को पाकिस्तान के खिलाफ 1971 में जीत मिली थी और एक देश के रूप में बांग्लादेश अस्तित्व में आया था. बीजेपी सरकार ने 2015 में नेशनल वॉर मेमोरियल को मंजूरी दी थी. ये स्मारक देश के सैनिकों को समर्पित है.

पहली बार 1960 में सशस्त्र बलों ने नेशनल वॉर मेमोरियल को बनाने का प्रस्ताव दिया था. इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के पास ही ये नया स्मारक बनाया गया है. यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है.

विजय दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देशवासियों को बधाई दी.

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, ‘1971 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम से मानवीय स्वतंत्रता के सार्वभौमिक मूल्यों की रक्षा करते हुए विश्व मानचित्र पर एक ऐतिहासिक बदलाव किया. इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित यह शौर्यगाथा हर भारतीय को गौरवान्वित करती रहेगी. विजय दिवस की शुभकामनाएं.’

बता दें कि वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को धूल चटाई और बांग्लादेश नाम से एक नया देश विश्व के मानचित्र पर आया.

तीन दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान ने लड़ाई की शुरुआत तो कर दी, लेकिन भारतीय सैनिकों के पराक्रम के आगे महज 13 दिनों में ही घुटने टेकने पड़े.

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