शुक्रवार को पीएम मोदी ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शुक्रवार को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वार्षिक शिखर बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित किया.
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कट्टरपंथी ताकतों को जवाब देने की बात कही और कहा कि इसके खिलाफ सबको एकजुट होना होना. उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र के लिए कट्टरता बड़ी चुनौती है.
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लोगों को एकसाथ आगे आना होगा तभी हम इसी समस्या से निजात पा सकते हैं. खास बात ये है कि जब पीएम मोदी भाषण दे रहे थे तो पाकिस्तानी पीएम इमरान खान भी उनकी स्पीच सुन रहे थे.
पीएम ने कहा, ‘इरान का नए एससीओ के सदस्य के रूप में स्वागत करता हूं. सऊदी अरब, इजिप्ट और कतर का स्वागत करता हूं. एससीओ का बढ़ता विस्तार हमारी संस्था के प्रभुत्व को दिखाता है.
एससीओ की 20वीं वर्षगांठ इसके भविष्य को लेकर सोचने की है. मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है और क्षेत्र की समस्याओं का मूल कारण बढ़ती कट्टरता है. अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है. एससीओ को इस्लाम से जुड़े उदारवादी, सहिष्णु तथा एवं समावेशी संस्थानों और परम्पराओं के बीच मजबूत सम्पर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए.’
यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive cultures और values का गढ़ रहा है. सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं. इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं. मध्य एशिया की रेडिक्लाइडेशन और एक्टईमीस्ट के खिलाफ लड़ने का मैकेनिज्म तैयार करना चाहिए.’
भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी संयमित, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं हैं. एससीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए. कट्टरता से ल़़ड़ाई क्षेत्रीय सुऱक्षा के लिए आवश्यक है साथ में ही युवा पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए भी जरूरी है. हमें अपने प्रतिभाशाली युवाओं को विज्ञान की तरफ प्रोत्साहित करना होगा.