सात समुंदर पार अमेरिका से आई एक ऐसी खबर ने भारत में भी डॉक्टरों, हेल्थ और मरीजों में आशा की किरण जगा दी है. यह अच्छी खबर किडनी और ट्रांसप्लांट को लेकर है . भारत की अगर बात की जाए तो लाखों मरीज ऐसे हैं जो किडनी की समस्याओं से जूझ रहे हैं.
सही समय पर डोनेट न मिलने और ट्रांसप्लांट सफल न होने की वजह से हर साल हजारों मरीजों की जान चली जाती है. अब अमेरिका की मेडिकल साइंस और डॉक्टरों ने पिछले दिनों किए गए शोध के बाद विश्व के कई देशों में किडनी मरीजों में खुशी की लहर दौड़ गई है. एक ऐसी कामयाबी हासिल की है, जिसकी आज की लाइफस्टाइल में बेहद जरूरत महसूस की जा रही थी.
किडनी खराब होने और उसका कोई विकल्प नहीं होने से दुनिया में यह एक बड़ी समस्या बनी हुई थी. अमेरिका के डॉक्टरों ने इस मामले में बड़ी खोज करते हुए सूअर की किडनी को इंसान के शरीर में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है. बता दें कि न्यूयॉर्क शहर के एनवाईयू लैंगोन हेल्थ मेडिकल सेंटर के सर्जनों ने यह सफल प्रयोग किया है. सर्जनों ने अनुवांशिक रूप से परिवर्तित सूअर में विकसित की गई किडनी को एक मानव रोगी में सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित किया और पाया कि अंग सामान्य रूप से काम कर रहा है.
इस प्रक्रिया का नेतृत्व करने वाले सर्जन ने इसे संभावित चमत्कार बताया है. कई तरह की जांच के बाद यह साफ हो गया कि सूअर की किडनी इंसान के शरीर में अच्छी तरह से काम कर रही है. डॉक्टरों का कहना है कि शरीर के इम्यून सिस्टम ने सूअर के अंग को तत्काल खारिज नहीं किया. मेडिकल के क्षेत्र में इसे बड़ी वैज्ञानिक सफलता मानी जा रही है क्योंकि इसके जरिए गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए अंगों की एक बड़ी और नई आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है.
कई सालों से सूअर की किडनी को मनुष्यों में ट्रांसप्लांट करने की चल रही थी रिसर्च
गौरतलब है कि पहले कई बार ऐसा करने की कोशिश हुई लेकिन यह सफल नहीं हो सकी और अब जाकर आखिरकार डॉक्टरों को इसमें बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. इस सफल प्रत्यारोपण से आने वाले वक्त में मानव अंगों की कमी को दूर किया जा सकता है.
अंग की कमी को दूर करने के लिए सूअर के ऊपर काफी दिनों से रिसर्च किया जा रहा था. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन में ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक रॉबर्ट मोंटगोमरी ने बताया कि इसने वही किया जो इसे करना चाहिए था, जो अपशिष्ट को हटाकर मूत्र बनाता है. इस गंभीर स्थिति में सूअर का अंग रोगी की किडनी के मॉलिक्यूल क्रिएटिन के स्तर को कम करने में सक्षम था, यह किडनी के स्वास्थ्य का प्रमुख संकेतक है, जो प्रत्यारोपण से पहले रोगी में बेहद ऊंचा हो गया था.
मोंटगोमरी ने लगभग दो घंटे के दौरान अपने कई सहयोगियों के साथ सर्जरी में सफलता हासिल की. मोंटगोमरी ने कहा कि प्रत्यारोपण के बाद स्थिति सामान्य है. यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 107,000 लोग वर्तमान में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिसमें 90 हजार से अधिक लोग किडनी प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. एक किडनी के लिए औसत तीन से पांच साल तक वेटिंग है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डोनर न मिल पाने की वजह से लगभग 5 लाख लोग दम तोड़ देते हैं. यह खबर भारत के लिहाज से बहुत खास है क्योंकि ऐसे रोगियों की तादाद काफी अधिक है. किडनी के इस सफल ट्रांसप्लांट के बाद भारत में भी हेल्थ विभाग में खुशी की लहर है.