आइए आज आपको के झीलों के शहर उदयपुर लिए चलते हैं. यहां के एक विधायकजी’ हैं जो सुर्खियों में बने हुए हैं. हम बात करेंगे ‘उदयपुर ग्रामीण विधानसभा’ सीट से भाजपा के विधायक फूल सिंह मीणा की. देश में आमतौर पर देखा जाता है कि कोई नेता जब विधायक या सांसद बन जाते हैं तब वे अपनी पोजीशन को देखते हुए कोई ऐसा काम नहीं करते जिससे उनकी छवि पर आंच आए या शर्मिंदगी उठानी पड़े.
लेकिन यह विधायक शर्म को पीछे छोड़ते हुए अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए इम्तिहान दे रहे हैं. अब आपको बताते हैं विधायक की इस आयु में पढ़ाई की लगन को लेकर. फूल सिंह मीणा वर्ष 2013 में उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के विधायक चुने गए थे तब वे सातवीं पास थे. उस समय उनकी आयु 55 साल की थी. विधायक बनने के बाद उन्हें अपनी योग्यता कम होने पर शर्म आने लगी थी, इसके साथ अपने बच्चों के बीच भी उन्हें झिझक महसूस होने लगी थी.
जबकि उन्होंने अपनी पांचों बेटियों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उनकी 4 बेटियां पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुकी हैं और उनमें से एक बेटी पुणे में लॉ कर रही है. बेटियों के कहने पर ही विधायक मीणा ने 40 साल के बाद एक बार फिर दोबारा शर्म को दरकिनार कर पढ़ने की ठान ली. फूल सिंह मीणा ने बताया कि बेटियों ने वर्ष 2013 में ओपन स्कूल से 10वीं कक्षा के लिए फॉर्म भरवा दिया था लेकिन व्यस्तता के कारण वह 2014 में परीक्षा नहीं दे पाए थे.
इसके बाद बेटियों ने 2015 में फिर से फॉर्म भर दिया और उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास की। साल 2016-17 में वह 12वीं पास कर गए. फूल सिंह मीणा आजकल अपनी बीए की परीक्षाएं दे रहे हैं. शुरुआत में तो उन्हें सेंटर पर देखकर ड्यूटी कर रहे शिक्षक और शिक्षिकाएं पहले तो इस सोच में पड़ जाते थे कि शायद नेताजी इंतजाम का जायजा लेने आए होंगे. हालांकि जब उन्होंने बताया कि वे खुद भी परीक्षा देने के लिए ही आए हैं तो सभी हैरान रह गए.
यहां हम आपको बता दें कि बीजेपी एमएलए फूल सिंह मीणा ‘वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी’ के उदयपुर सेंटर पर इन दिनों परीक्षा दे रहे हैं और उन्होंने विषय के तौर पर भी पॉलिटिकल साइंस ही चुना है.
अपना राजनीति करियर पार्षद से शुरू करने वाले फूल सिंह छात्राओं के लिए मुहिम भी चलाते हैं
यहां हम आपको बता दें कि फूल सिंह मीणा उदयपुर नगर निगम से अपना राजनीति का करियर पार्षद के रूप में शुरू किया था. उसके बाद वर्ष 2013 में उदयपुर ग्रामीण से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए. फिर वर्ष 2018 में भाजपा के टिकट पर ही फिर विधायक का चुनाव जीत गए.
मीणा ने बताया कि पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी आने से उन्हें स्कूली पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। लेकिन पढ़ने के लिए उनकी शिक्षित बेटियों ने ही मुझे प्रेरणा दी. इसके अलावा विधायक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पढ़ने की सीख मिली. ‘मीणा ने बताया कि पहली बार विधायक बनने के बाद मुझे स्कूलों में होने वाले कार्यक्रम में बुलाया जाता था। इस दौरान बच्चों के सामने भाषण देते वक्त मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस होती थी, मुझे लगता था मैं खुद पढ़ा-लिखा नहीं हूं और इन्हें पढ़ने की शिक्षा देता हूं’.
अब मुझे ऐसा नहीं लगता। मैं जहां भी जाता हूं, छोटे बच्चों के साथ बड़ों को भी पढ़ने की सलाह देता हूं। बता दें कि इसके अलावा विधायक मेधावी छात्राओं के लिए मुहिम भी पिछले काफी सालों से चला रहे हैं. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को 80 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने पर विधायक हवाई जहाज का सफर कराते हैं.
वे 2016 से यह मुहिम चला रहे हैं और अब तक 50 से ज्यादा छात्राओं को प्लेन से राजधानी जयपुर विधानसभा घुमा चुके हैं. ग्रेजुएट होने के बाद विधायक फूल सिंह अभी पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहते हैं उसके बाद वह पीएचडी भी करेंगे.
सही मायने में विधायक फूल सिंह उन लोगों को भी सीख दे रहे हैं, जिनकी ज्यादा उम्र हो चुकी है और जो अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए उनके लिए अभी भी मौका है अपनी पूरी पढ़ाई करने का, क्योंकि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
इनसे सीखें: शर्म को दरकिनार कर भाजपा विधायक 62 साल की उम्र में दे रहे हैं बीए का इम्तिहान
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