गत रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में आई आपदा ने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. अभी भी सैकड़ों लोग लापता है. एक बड़ी सुरंग में फंसे लोगों को बचाने का काम अभी भी जारी है. इसी बीच एक ऐसी मां की कहानी सामने आई है, जिसकी वजह से कई लोगों की जान बची है.
तपोवन में NTPC जलविद्युत परियोजना में काम करने वाले 27 साल के भारी मोटर वाहन चालक विपुल कैरेनी ने अपनी मां की फोन पर कही उस बात पर ध्यान नहीं दिया, जिसमें वह उससे बैराज से दूर जाने को कह रही थी.
हालांकि, मंगश्री देवी तब तक फोन करती रहीं जब तक कि वह अपने बेटे को ये बताने में सफल नहीं हो गईं कि उन्होंने धौलीगंगा में सैलाब आता देखा है. कैरेनी ने बताया, ‘हमारा गांव ऊंचाई पर स्थित है. जब अचानक बाढ़ आई तब मेरी मां बाहर काम कर रही थी. अगर उन्होंने चेतावनी नहीं दी होती, तो मैं और मेरे लगभग दो दर्जन साथी अब तक मर चुके होते.’
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार, उन्होंने आगे बताया कि मां के बताने पर वे दौड़े और एक सुरक्षित जगह पर जाकर शरण ली. उनकी दो महीने पहले ही शादी शादी हुई है और वो बैराज में तब से काम कर रहे है जब वह सात साल के थे.
7 फरवरी को लगभग 9 बजे वो प्रोजेक्ट स्थल के लिए अपने गांव ढाक से निकले. वो बताते हैं, ‘नियमित दिन पर हमें 600 रुपए का भुगतान किया जाता है, लेकिन रविवार को वह राशि दोगुनी हो जाती है. मैं कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए पिछले रविवार को काम पर गया था.’ 10.35 बजे उनकी मां ने उसे फोन कर भागने के लिए कहा.
वो आगे कहते हैं, ‘सबसे पहले मैंने केवल उनके चिल्लाने की आवाज सुनी और उसे गंभीरता से नहीं लिया. मैंने उनसे मजाक नहीं करने के लिए कहा. उन्होंने मुझे फिर से फोन किया और मुझसे वहां से हटने की विनती की. मेरी मां और पत्नी अनीता ने पानी को उसकी सामान्य ऊंचाई से 15 मीटर ऊपर उठते हुए देखा था. वह सबकुछ अपनी चपेट में ले रहा था. हम सभी सीढ़ी की ओर भागे और इसने हमारी जान बची.’