राजद्रोह मामले पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रतिक्रिया दी है. महबूबा ने बुधवार को श्रीनगर में कहा कि देश में यदि छात्रों, एक्टिविस्टों एवं पत्रकारों के खिलाफ यदि राजद्रोह के आरोप लगते रहेंगे तो हमारी स्थिति श्रीलंका से भी बदतर हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया. महबूबा ने कहा कि बुलडोजर से अल्पसंख्यकों के घर तोड़े जा रहे हैं, न्यायपालिका को इसका संज्ञान लेना चाहिए.
महबूबा ने कहा, ‘देश में यदि छात्रों, एक्टिविस्टों एवं पत्रकारों के खिलाफ यदि राजद्रोह के आरोप लगते रहेंगे तो हमारी स्थिति श्रीलंका से भी बदतर हो जाएगी. मुझे उम्मीद है कि भाजपा श्रीलंका के हालातों से सबक लेगी और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने से बाज आएगी.’ उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यकों पर जिस तरह से हमले हो रहे हैं, वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके घरों को बुलडोजर से गिराया जा रहा है. न्यायपालिका इस तरह की घटनाओं का स्वत: संज्ञान नहीं ले रही है.’
बता दें कि राजद्रोह को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि इस कानून को एक दिन में खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन सरकार को इस पर दोबारा से विचार करना चाहिए. साथ ही अदालत ने राज्यों से कहा कि वे 124ए के तहत नए केस दर्ज न करें.
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहां तक राजद्रोह के लंबित मामलों का सवाल है तो प्रत्येक केस कितना गंभीर है इसका आंकलन अभी नहीं हो पाया है. हो सकता है कि इनमें आतंकी अथवा मनी लॉन्ड्रिंग का एंगल हो. ये सभी मामले अदालत में हैं और हमें न्यायालयों पर भरोसा करने की जरूरत है.
उन्होंने आगे कहा कि राजद्रोह केस जिसे संवैधानिक पीठ सही ठहरा चुकी है, उस पर रोक लगाना सही फैसला नहीं होगा. केंद्र ने कहा कि एक संज्ञेय अपराध में मामला दर्ज करने से नहीं रोका जा सकता.