यूपी विधानसभा चुनाव: ‘पांडवों की राजधानी’, जहां की हार जीत से तय होता है किसकी बनेगी सरकार

यूपी में मंगलवार को विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए प्रचार का दौर थम चुका है. जिन सीटों पर पहले चरण के तहत 10 फरवरी को वोट डाले जाने हैं, उनमें पश्चिमी यूपी की हस्तिनापुर विधानसभा सीट भी है. हस्तिनापुर जहां ऐतिहास‍िक रूप से अपना अलग महत्‍व रखता है, वहीं इसे लेकर एक रोचक तथ्‍य भी यूपी की राजनीति से जुड़ा है.

हस्तिनापुर को लेकर तथ्‍य यह है कि 1957 में विधानसभा सीट बनने के बाद से यहां जिस पार्टी को जीत मिली है, वही प्रदेश में सरकार बनाने में सफल रही है. 1950 के दशक से शुरू हुआ यह सिलसिला 2017 तक जारी रहा, जब राज्‍य में बीजेपी की अगुवाई में सरकार का गठन हुआ.

ऐसे में इस पर एक बार फिर सभी की नजरें टिकी हुई हैं कि आखिर 2022 के चुनाव का नतीजा क्‍या होता है और क्‍या एक बार फिर यहां से जीत दर्ज करने वाली पार्टी ही राज्‍य में सरकार बनाएगी?

महाभारत काल से है हस्‍त‍िनापुर का संबंध
हस्तिनापुर का अपना ऐतिहासिक महत्‍व है. इसका सीधा संबंध महाभारत काल से है. इतिहास में यह पांडवों की राजधानी के तौर पर वर्णित है, जहां से उन्‍होंने महाभारत युद्ध के बाद राज किया. अतीत में हुए यूपी के चुनावों यहां सरकार बनाने वाली पार्टियों पर नजर डालें तो 1957 में यहां से कांग्रेस के ब‍िशांभर सिंह ने दर्ज की थी और उस चुनाव के बाद पार्टी ने यहां सरकार बनाई थी. यह सिलसिला 1967 के चुनाव तक जारी रहा था.

वर्ष 1969 में कांग्रेस यह सीट हार गई थी और भारतीय क्रांति दल ने यहां से जीत दर्ज की थी, जिसका गठन चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर किया था. 1969 में वह यूपी के सीएम बने. लेकिन 1974 में यह सीट फिर से कांग्रेस के खाते में गई और पार्टी यहां सरकार बनाने में सफल रही. 1977 में यहां से जनता पार्टी ने जीत हासिल की और पार्टी के नेता राम नरेश यादव यहां सीएम बने.

यहां जीत-हार से तय होता है किसकी बनेगी सरकार
वर्ष 1980 में फिर कांग्रेस (I) ने जीत हासिल की और विश्‍वनाथ प्रताप सिंह सीएम बने. 1985 में भी कांग्रेस यहां से जीतने और यूपी में सरकार बनाने में कामयाब रही. 1989 में यहां से जनता दल (सोशलिस्‍ट) के प्रत्‍याशी ने जीत हासिल की और उसी साल मुलायम सिंह यादव राज्‍य के सीएम बने. इसके बाद 1996 में हुए चुनाव में बहुजन पार्टी ने यहां से जीत हासिल की और सरकार बनाने में सफल रही. लेकिन फिर 2002 के चुनाव में सपा ने यहां जीत दर्ज की और सरकार बनाई.

साल 2007 में बसपा के टिकट पर योगेश वर्मा यहां से जीते और मायावती राज्‍य की सीएम बनीं. 2012 के चुनाव में यह सीट सपा के खाते में गई और अखिलेश यादव के नेतृत्‍व में पार्टी ने यूपी में सरकार बनाई. साल 2017 के चुनाव बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की, जिसके बाद योगी आदित्‍यनाथ की अगुवाई में पार्टी ने यहां सरकार का गठन किया है. यही वजह है कि अब एक बार फिर हस्तिनापुर पर सभी की नजरें टिकी हैं कि आखिर इस बार यहां से किसकी जीत होती है और कौन सी पार्टी यूपी में सरकार बनाने में सफल होती है.

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