सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में विशेष रूप से कृषि के लिए, एक साधन बन सकती हैं, कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने दिन बुधवार को कहा कि अब तक इन संस्थाओं को युवाओं की अभिरुचि को समझना शेष है और उन्हें इस मॉडल के प्रति आकर्षित करने किये जाने की आवश्यकता थी.
“सहकारी क्षेत्र में युवाओं के लिए कई आर्थिक अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन कई प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आ रहे हैं. उनके लिए सहकारिता बुजुर्गों द्वारा संचालित कोई पुराने जमाने की अवधारणा है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें सहकारिता का एक अंग बनाएं जो देश की आर्थिक वृद्धि को अग्रसर करने में बड़ी क्षमता रखते हैं.”
रूपाला ने सहकारी क्षेत्र निर्यात संवर्धन परिषद (कॉपएक्सिल) की प्रथम सामान्य निकाय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि “सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में विशेष रूप से कृषि के लिए परिवर्तन का एक साधन बन सकती हैं.“
सर्वप्रथम कॉपएक्सिल की स्थापना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के नेतृत्व में की गई है, जो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अंतर्गत एक सहकारिता केंद्रित वित्तीय संगठन है जो अपने मूल्यवर्धन उत्पादों के निर्यात में सहकारी समितियों का मार्गदर्शन करता है.
रूपाला ने यह सुझाव दिया कि कॉपएक्सिल के सामान्य निकाय, जिसमें सभी हितधारकों एपीडा, एमपीडा, इफ्फको, नैफेड, ट्राईफेड आदि का प्रतिनिधित्व है, के स्वयं के महासचिव एवं सचिवालय हों. निकाय के संवर्धक के रूप में, एनसीडीसी को अपने संसाधनों को कॉपएक्सिल को उपलब्ध कराना चाहिए.
देशभर में सहकारिताओं को वित्तपोषण कर संवर्धित करने में, एनसीडीसी की भूमिका पर जोर देते हुए मंत्री ने कहा कि, एनसीडीसी ने अपने गठन से अब तक सहकारिताओं को 1.76 लाख करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है. एनसीडीसी ने सहकारिताओं की आवश्यकताओं के लिए हाल ही में अनेक नई पहलें जैसे युवा सहकार, सहकार मित्र, आयुष्मान सहकार एवं सहकार प्रज्ञा आदि प्रारंभ की हैं.