इस्लामाबाद| पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पूर्व मुखिया असद दुर्रानी ने कहा है कि पाकिस्तान को असली खतरा देश की आंतरिक चुनौतियों से है न कि भारत से. साल 1990 से मार्च 1993 तक खुफिया एजेंसी का प्रमुख रहे दुर्रानी अपनी पुस्तक ‘द स्पॉय क्रानिकल्स : रॉ, आईएसआई एंड द एल्युजन ऑफ पीस’ को लेकर विवादों में आ चुके हैं. यह किताब उन्होंने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दौलत के साथ मिलकर लिखी है.
बीबीसी उर्दू के साथ एक साक्षात्कार में दुर्रानी ने कहा कि पाकिस्तान बाहरी मोर्चे पर इस समय सऊदी अरब, तुर्की एवं ईरान के बीच आपसी खींचतान एवं प्रतिद्वंद्वता सहित कई नई चुनौतियों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘आप यदि मुझसे यह पूछेंगे कि पाकिस्तान के लिए बाहरी चुनौतियां क्या हैं तो मैं कहूंगा कि ईरान, सऊदी अरब और तुर्की पाकिस्तान के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं.’ पूर्व खुफिया प्रमुख ने कहा, ‘हमारे लिए भारत कभी सबसे बड़ा खतरा नहीं रहा है.’
दुर्रानी ने कहा कि पाकिस्तान को सबसे ज्यादा खतरा अपनी आंतरिक चुनौतियों से है. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान आर्थिक, रानीतिक अस्थिरता और सामाजिक जड़ता की तीन चुनौतियों का सामना कर रहा है. बलूचिस्तान में कुछ ऐसे इलाके हैं जहां लोगों में आक्रोश है. ये लोग राजनीतिक रूप से खुद को अलग-थलग एवं वंचित महसूस करते हैं. आर्थिक हालत बदहाल स्थिति में है. सरकार की साख खराब हो गई है क्योंकि लोगों को लगता है कि सेना ने सरकार को चुना है.’
दुर्रानी ने माना कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल एक वास्तविकता है. दुर्रानी 1988 में पाकिस्तान के मिलिटरी इंटेलिजेंस डायरेक्टर जनरल थे और 1990 में इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस यानी आईएसआई के प्रमुख बने. इसके अलावा दुर्रानी जर्मनी और सऊदी अरब में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे हैं.