बुधवार को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी सैफुल्लाह मंसूर, जिसने दिल्ली सहित भारत के विभिन्न स्थानों पर आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के इरादे से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी, को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है.
एनआईए ने यह मामला 27 जुलाई 2016 को नई दिल्ली में दर्ज किया था. भारत में आतंकी हमले करने के लिए पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने एक बड़ा षड्यंत्र रचा था. इस साजिश के तहत बहादुर अली अपने दो सहयोगियों अबू साद और अबू दर्दा के साथ लश्कर के प्रशिक्षित आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर में अवैध रूप से घुसपैठ की थी. उन्होने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत भारत के विभिन्न स्थानों पर दहशत फैलाने का इरादा बनाया था. उन्हें पीओके में स्थित लश्कर के आतंकियों द्वारा निर्देश मिले थे.
दोषी बहादुर अली को 25 जलाई के दिन गिरफ्तार किया गया था. उसकी गिरफ्तारी कुपवाड़ा जिले के याहमा मुकाम गांव से हुई थी. उसके पास से भारी मात्रा में हथियार ओर गोला बारूद जब्त किए गए थे. जब्त सामग्री में एके -47 राइफल, यूबीजीएल, गोला-बारूद, हैंड ग्रेनेड, यूबीजीएल गोले, मिलिट्री मैप, वायरलेस सेट, जीपीएस, कंपास, इंडियन करेंसी, फेक इंडियन करेंसी नोट आदि शामिल थे.
जांच के दौरान बहादुर अली ने लश्कर की भर्ती के बारे में, तमाम प्रशिक्षण शिविरों, आतंकवादियों को हथियारों की ट्रेनिंग, विस्फोटकों, वायरलेस सेट्स, नाइट विजन डिवाइसेस, जीपीएस, ग्रिड रेफरेंस आदि के बारे में बताया और नए भर्ती हुए कैडरों को प्रेरित करने के लिए मॉडस ऑपरेंडी के बारे में खुलासा किया. साथ ही साथ जिहाद और लश्कर के नेताओं की ओर से भारत में आतंकी वारदातें और पीओके में लश्कर के लॉन्चिंग पैड के बारे में भी ब्योरा दिया. NIA ने मामले में 6 जनवरी 2017 को बहादुर अली के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था.
हालांकि बाद में लश्कर के दो पाकिस्तानी आतंकवादी अबू साद और अबू दारदा 14 फरवरी 2017 को कुपवाड़ा जिले में एक एनकाउंटर के दौरान मारे गए थे. जांच के दौरान बहादुर अली का सहयोग करने वाले दो जम्मू-कश्मीर निवासी जहूर अहमद पीर और नजीर अहमद पीर को गिरफ्तार किया गया था. इन आरोपियों के खिलाफ मामले में ट्रायल जारी है.
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने लश्कर-ए-तैय्यबा के आतंकी सैफुल्लाह को सुनाई 10 साल की सजा
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