मंगलवार को भारत-पाकिस्तान रिश्ते को लेकर पाक उच्चायोग के वरिष्ठ राजनयिक आफताब हसन खान ने बड़ा बयान दिया. खान ने कहा कि दोनों देशों को अपने देश की गरीबी और अशिक्षा मिटाने के लिए काम करना चाहिए. कश्मीर मुद्दे का समाधान आपसी बातचीत से करने पर जोर देते हुए पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा कि ऐसा तभी हो सकता है जब दोनों देशों के बीच शांति हो.
पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ अच्छे संबंध बनाने के संकेत दिए हैं. अब राजनयिक के इस बयान को उसी क्रम में देखा जा सकता है.
आफताब हसन खान ने कहा पाकिस्तान अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है. उन्होंने कहा, ‘यह शांति होने पर ही संभव है और इसके लिए जम्मू-कश्मीर सहित सभी मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए होना चाहिए. कश्मीर का मसला पिछले 70 सालों से चल रहा है.’
राजनयिक ने आगे कहा कि यह जरूरी है कि दोनों देश युद्ध के बारे में सोचने की जगह अपने देश में गरीबी और अशिक्षा दूर करने की दिशा में काम करें. यह तभी संभव है जब दोनों देशों के बीच शांति हो.
पिछले कुछ दिनों में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के तेवर में नरमी देखने को मिली है. ये नरमी किसी बड़े बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है. पिछले महीने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के शीर्ष सैन्य प्रमुखों ने 2003 के संघर्षविराम समझोते की बहाली की घोषणा कर सभी को चौंका दिया.
इसके अलावा इमरान खान के श्रीलंका दौरे के लिए भारत ने अपना वायु क्षेत्र खोला. खान के करोनो से संक्रमित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जल्द ठीक होने की कामना की है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से सोमवार को दावा किया गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच इन दिनों पर्दे के भीतर बहुत कुछ चल रहा है. आने वाले दिनों में ये दोनों देश कुछ बड़े कदमों की घोषणा कर सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों के संबंधों को पटरी पर लाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ‘मध्यस्थता’ की भूमिका निभा रहा है. दोनों देशों के बीच कारोबार पहले की तरह शुरू हो सकता है. फरवरी माह में विदेश मंत्री एस जयशंकर यूएई की यात्रा पर गए थे.