पाकिस्तान को अब यूरोपीय यूनियन की तरफ से भी झटका लगा है. दरअसल पाकिस्तानी मीडिया ने यूरोपीय यूनियन के हवाले से रिपोर्ट की है कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल टास्क फोर्स के निर्देशों का पालन करना ही होगा. बता दें कि महज तीन दिन पहले ही फाइनेंशियल टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला किया है.
फाइनेंशियल टास्क फोर्स के इस फैसले के बाद अब इस्लामाबाद दुहाई दे रहा है कि उसने वैश्विक निकाय द्वारा तय 27 में से 26 बिंदुओं को पूरा कर लिया है तब भी उसे इस सूची में बनाए रखने का कोई तुक नहीं है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बीते शनिवार को कहा था कि पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को मदद देने के खिलाफ फाइनेंशियल टास्क फोर्स द्वारा तय 27 में 26 बिंदुओं को पूरा कर लिया है.
फाइनेंशियल टास्क फोर्स की 21 से 25 जून को हुई पूर्ण बैठक में पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों की मदद को रोक लगाने में विफल रहने पर ‘संदिग्धों की सूची’ में बरकरार रखने का फैसला किया था. फाइनेंशियल टास्क फोर्स ने बैठक में साथ ही आंतकवादी समूहों के सरगनाओं हाफिज सईद तथा मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने और जांच करने को भी कहा गया है.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने आतंक को बढ़ावा देने और टेरर फंडिंग के कारण पाकिस्तान को वर्ष 2008 से ही अपनी निगरानी सूची में रखा हुआ है. फाइनेंशियल टास्क फोर्स ने आतंकियों का साथ देने के लिए पाकिस्तान को करीब 13 वर्षों से ग्रे लिस्ट में डाला हुआ है. इससे पाकिस्तान की जीडीपी (GDP) को अब तक कम से कम 45 बिलियन डॉलर यानी 3.34 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. यह दावा पाकिस्तान की एक रिसर्च रिपोर्ट में किया गया था.