बता दें कि पाकिस्तान भारत की अपेक्षा अपने यहां का बासमती चावल को अच्छा बताता आया है. इसके साथ पड़ोसी मुल्क का कहना है कि हमारे लिए बासमती का व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण बाजार है और बासमती अधिक जैविक और गुणवत्ता में बेहतर है. आपको बता दें कि ‘बासमती चावल दोनों देशों के पंजाब प्रांत में उगाया जाता है और वैश्विक बासमती बाजार में भारत की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत है, जबकि शेष हिस्सेदारी पाकिस्तान की है’.
मालूम हो कि साल 2010 में भारत के सात राज्यों में उगने वाले बासमती चावल को जियोग्रैफिकल इंडेक्स (जीआई) टैग मिला था. इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं. भारत हर साल करीब 33 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल एक्सपोर्ट करता है. अब बात करेंगे ‘जियोग्रैफिकल इंडेक्स टैग की यह किसी भी उत्पाद पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत है जो एक विशिष्ट भौगोलिक मूल और क्षेत्र में अच्छे गुणों या प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करता है’.
आसान शब्दों में कहा जाए तो इस टैग से किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को एक खास पहचान मिलती है. जैसे बनारस की साड़ी, दार्जिलिंग की चाय, ब्राजील की कॉफी आदि हैं. भारत के मुकाबले पाकिस्तान का बासमती चावल महंगा बिकता है. वहां टेक्सटाइल्स के बाद बासमती चावल का ही सबसे ज्यादा निर्यात होता है. ऐसे में भारत के इस कदम की वजह से पाकिस्तान का कहना है कि उसके देश में चावल निर्यातक पर प्रभाव पड़ने की संभावनाएं हैं.
इसी वजह से यूरोपीय संघ से संरक्षित भौगोलिक संकेत (पीजीआई) लेने के लिए भारत की ओर से उठाए गए कदम का विरोध करने मेंं जुटा हुआ है . पाकिस्तान चाहता है कि दोनों देशों के यूरोपीय संघ में बासमती चावल को लेकर संयुक्त रूप से आवेदन करने पर भारत सहमत हो जाए.