इस्लामाबाद|….. आज बात करेंगे अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, वैसे तो हमारा पड़ोसी देश विदेशी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है, लेकिन अपनी हेकड़ी दिखाने से बाज़ नहीं आ रहा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया है कि अर्थव्यवस्था की बढ़ती रफ्तार के मामले में पाकिस्तान ने अपने हमसाया मुल्क भारत को पीछे छोड़ दिया है और तरक्की के नये आसमान को छू रहा है. हालांकि, इमरान खान का ये दावा पाकिस्तान में किसी को पच नहीं रहा है. लोग पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से तरह तरह के सवाल पूछ रहे हैं.
एक सेरेमनी के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने दावा किया, ‘भारत और पाकिस्तान में जनसंख्या घनत्व एक समान ही है. दोनों देशों में प्राकृतिक समानताएं भी एक समान ही हैं, लेकिन आप देखिए कि उन्होंने जो नीतिगत फैसले लिए हैं, उससे भारत का क्या अंजाम हो रहा है.
भारत से तुलना करके देखिए कि हम उनके कितना आगे निकल चुके हैं.आज उनका (भारत) विकास दर माइनस 7 प्रतिशत है लेकिन हमारा (पाकिस्तान) का विकास दर 4 प्रतिशत है, जबकि हमारे हालात और उनके हालात में काफी अंतर है’.
इमरान खान ने कहा, ‘जब कोरोना महामारी आई, तो भारत की आर्थिक स्थिति हमारे मुकाबले काफी बेहतर थी, लेकिन हमने अपने फैसलों की बदौलत ना सिर्फ अपनी जनता की जिंदगी बचाई, बल्कि उनके मुकाबले हमने अच्छी विकास दर हासिल की है’. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि ‘पाकिस्तान के लिए मुश्किल वक्त अब खत्म हो चुका है’.
इमरान खान के बयान को बड़बोलापन इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि उन्होंने भारत से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की तुलना भरे ही कर दी है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का आकार 10 गुना से भी कम है और जिस देश की अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होती है, उस देश की अर्थव्यवस्था को गति पकड़ने में उतना ही वक्त लगता है. वहीं, पाकिस्तान की द ट्रिब्यून न्यूजपेपर ने दावा किया है कि इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान 25 प्रतिशत और ज्यादा गरीब हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान की आर्थिक नीतियों से पाकिस्तान को काफी नुकसान हुआ है.
जब से इमरान खान ने पाकिस्तान की सत्ता संभाली है, तब से हर साल पाकिस्तान के विदेशी कर्ज में 4.74 ट्रिलियन रुपये कर्ज का इजाफा हो रहा है. वहीं, इमरान खान ने जब पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी, उस वक्त पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 313 बिलियन डॉलर की थी. अब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था घटकर 296 बिलियन डॉलर हो गई है. वहीं, पाकिस्तान में लोगों की खरीदने की क्षमता भी 13 फीसदी कम हो गई है.