शनिवार की रात अतीक अहमद के लिए अंतिम रात साबित हुई. पुलिस के मुताबिक अतीक और उसके भाई अशरफ से जब मीडियाकर्मी सवाल कर रहे थे उसी वक्त तीन लोगों ने अतीक और अशरफ को निशाना बनाकर गोलियां चलाईं जिसमें दोनों की मौत हो गई.
इस हत्याकांड के बाद सियासी तौर पर प्रतिक्रियाएं भी आईं. जहां बीजेपी के नेताओं ने पाप-पुण्य का फल बताया तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आतंक की पराकाष्ठा करार दिया और एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पूरी जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ की है.
ओवैसी ने कहा कि शनिवार का मर्डर केस योगी आदित्यनाथ सरकार की नाकामी है और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. यूपी में ही उनकी कार पर भी उसी अंदाज में हमला किया गया था. इस कांड पर सुप्रीम कोर्ट को खुद संज्ञान लेना चाहिए.
एक ऐसी टीम का गठन होना चाहिए जिसमें यूपी का कोई भी अधिकारी उस टीम का हिस्सा ना हो. इसके साथ ही इस केस से जुड़े सभी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त कर देना चाहिए. जो कुछ हो रहा है वो देश और यूपी के लिए अच्छा नहीं है.
ओवैसी की मांग
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दें
अतीक से जुड़े सभी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाए
सुप्रीम कोर्ट मामले खुद संज्ञान ले
जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट कमेटी बनाए
कमेटी में यूपी का कोई पुलिस अधिकारी शामिल ना हो
ओवैसी ने कहा कि अतीक और उसके भाई को न्यायिक या पुलिस कस्टडी में मार डाला गया. वो केस में सजायाफ्ता था, पूछताछ के लिए ले जाया जा रहा था. जो लोग इस देश की ताकत पर फर्क किया करते थे वे कमजोर महसूस कर रहे हैं. जो भी कल हुआ वो नृशंस हत्या है.
जिन लोगों ने हत्याकांड को अंजाम दिया वो प्रोफेशनल हैं, उन्हें पता है कि कैसे गोली चलानी है. अब यह जानने की जरूरत है कि बीजेपी की इसमें कितनी और किस तरह की भूमिका है. आज बहुसंख्यक समाज में तेजी से कट्टरता बढ़ रही है हत्याकांड में शामिल लोगों को भले ही यूपी सरकार से किसी तरह का संबंध नहीं हो वो सवाल उठा रहे हैं. क्या वे कट्टर नहीं हैं.