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मोहन भागवत के नागरिकता कानून वाले बयान पर ओवैसी ने कहा, ‘हम बच्चे नहीं हैं’

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आज विजयदशमी पर्व पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन का देश को इंतजार रहता है. भागवत ने आज अपने संबोधन में कई बातों का जिक्र किया. एक तरफ उन्होंने चीन पर निशाना साधा दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीठ भी थपथपाई.

इसके साथ ही संघ प्रमुख ने नागरिकता संशोधन कानून पर बातें की तो प्रतिक्रिया आना शुरू हो गई. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को विजयादशमी उत्सव के मौके पर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ.

कानून का विरोध करने वाले भी थे. राजनीति में तो ऐसा चलता ही है. ऐसा वातावरण बनाया कि इस देश में मुसलमानों की संख्या न बढ़े, इसलिए नियम लाया, जिससे प्रदर्शन आदि होने लगे.

इस पर एआईएमआई के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी. ओवैसी ने कहा कि हम बच्चे नहीं है कि हमें ‘भटका’ दे.

भारतीय जनता पार्टी ने सीएए और एनआरसी का एक साथ क्या अर्थ है ये नहीं बताया. अगर यह मुसलमानों के बारे में नहीं है, तो कानून से धर्म के सभी संदर्भों को हटा दें? ये बात जान लें कि जब तक कानून में हमें अपनी भारतीय साबित करने की बात होगी तब हम इसका बार-बार विरोध करेंगे.

आइए आपको बताते हैं भागवत ने क्या कहा. आरएसएस के प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ. पड़ोसी देशों में दो तीन देश ऐसे हैं, जहां सांप्रदायिक कारणों से उस देश के निवासियों को प्रताड़ित करने का इतिहास है.

उन लोगों को जाने के लिए दूसरी जगह नहीं है, भारत ही आते हैं. विस्थापित और पीड़ित यहां पर जल्दी बस जाएं, इसलिए अधिनियम में कुछ संशोधन करने का प्रावधान था. जो भारत के नागरिक हैं, उनके लिए कुछ खतरा नहीं था.

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