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यूपी की इन सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बने

सांकेतिक फोटो
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यूपी के 18 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर प्रत्याशियों का चुना जाना तय हो गया है. अब बाकी 57 जिलों में चुनाव के जरिए ही जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे. जहां चुनाव होने हैं, 57 सीटों में 41 ऐसी हैं, जिनमें दो प्रत्याशियों के ही बीच मुकाबला होना है, जबकि 11 सीटें ऐसी हैं, जहां पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा. भदोही में सबसे ज्यादा पांच उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो चार सीटों में चार-चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.

हालांकि चुनावी घमासान अभी और बढ़ने के आसार हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष के नामांकन में सत्ताधारी बीजेपी का चुनावी प्रबंधन विपक्षी दलों पर भारी पड़ा नामांकन के बाद बीजेपी की चुनावी ‘रणनीति’ कामयाब होती दिख रही है. हालांकि विपक्ष चुनाव में सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा रहा है. ‘कई जिलों में सपा और दूसरे दलों का संगठन ही बीजेपी के पक्ष में आ गया’.

इससे गुस्साए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने 11 जिला अध्यक्षों की छुट्टी कर दी है. वहीं बसपा ने सहारनपुर से अपने घोषित उम्मीदवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से निकाल दिया है. सपा और आरएलडी ने बीजेपी पर सत्ता का लाभ लेकर पुलिस-प्रशासन की मदद से जीत हासिल करने का आरोप लगाया है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले इसे बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा था.

आइए आपको बताते हैं 17 सीटों पर जहां भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीते हैं. भाजपा के आगरा से मंजू भदौरिया, गाजियाबाद से ममता त्यागी, मुरादाबाद से डॉ. शेफाली सिंह, बुलंदशहर से डॉ. अंतुल तेवतिया, ललितपुर से कैलाश निरंजन, मऊ से मनोज राय, चित्रकूट से अशोक जाटव, गौतमबुद्ध नगर से अमित चौधरी, श्रावस्ती से दद्दन मिश्रा, गोरखपुर से साधना सिंह, बलरामपुर से आरती तिवारी, झांसी से पवन कुमार गौतम, गोंडा से घनश्याम मिश्रा, मेरठ से गौरव चौधरी, बांदा से सुनील पटेल, वाराणसी से पूनम मौर्या तथा अमरोहा से ललित तंवर जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं.

समाजवादी पार्टी अपना गढ़ इटावा बचाने में सफल रही है, जहां पर अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव उर्फ अंशू के खिलाफ किसी ने भी नामांकन नहीं किया. जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की ओपनिंग में ही मिली भाजपा को भारी बढ़त के बाद योगी सरकार उत्साहित है.

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