शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की उंगली पकड़कर सियासत सीखने वाले राज ठाकरे महाराष्ट्र में अपने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. भाजपा और शिवसेना की तर्ज पर अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनाभी अपने कदम आगे बढ़ाना चाहती है यानी राज ठाकरे अब ‘हिंदुत्व विचारधारा’ को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं.
राज ठाकरे पहली बार अयोध्या जाकर अपनी राजनीति के लिए नई दिशा तलाशने जा रहे हैं। मनसे प्रमुख भले ही रामलला के दर्शन करने अयोध्या आ रहे हों, लेकिन पार्टी उनके इस दौरे की जिस तरह से सार्वजनिक घोषणा कर रही है. इससे जाहिर होता कि ये उनका महज धार्मिक दौरा नहीं होगा बल्कि पार्टी एक सियासी संदेश देने की कोशिश भी कर रही है, ऐसा संदेश जो पार्टी की हिंदुत्व की छवि को मजबूत करे, क्योंकि राज ठाकरे ‘मराठी मानुष’ की छवि के दम पर सियासत की बुलंदी को छूने में अभी तक सफलता नहींं मिली.
बता दें कि 9 मार्च 2006 को राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई थी, अगलेेे महीने एमएनएस को 15 साल पूरे होने जा रहे हैं। जब राज ठाकरे ने अपनी पार्टी बनाई थी तब वे शिवसेना से अलग दिखना चाहतेेे थे. उन्होंने हिंदुत्ववादी विचारधारा को प्राथमिकता न देते हुए महाराष्ट्र के क्षेत्रीय मुद्दों पर ज्यादा फोकस रखा. उस समय राज ठाकरे कहते फिरते थे कि ‘मुझे मराठी मानुष से ही मतलब हैै’. हालांकि शुरुआती दिनों में राज ठाकरे राजनीति में सफल भी हुए थे.
अपने पहले ही विधानसभा चुनाव यानी साल 2009 में राज ठाकरे ने 13 सीटें जीतकर दिखा दिया था कि आने वाले समय में महाराष्ट्र में पार्टी सत्ता पर काबिज हो सकती है? लेकिन कुछ फैसले गलत क्या हुए कि उनकी पार्टी की नींव हिलने लगी. इसके बाद साल 2014 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस ने 220 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन उसे सिर्फ एक सीट मिली. इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में फिर 1 सीट मिली.
ऐसे ही तीनो लोक सभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अपना खाता भी नहीं खोल सकी. मौजूदा समय में एमएनएस महाराष्ट्र में एक विधायक और एक पार्षद वाली पार्टी बन गई है. बता दें कि कुछ समय से शिवसेना को हिंदुत्व के मुद्दे पर नरम पड़ते देख राज ठाकरे ने मौका लपक लिया है और अयोध्या जाने का एलान किया है.
एमएनएस के सितारे फिलहाल गर्दिश में हैं और पार्टी के तमाम नेताओं और खुद राज ठाकरे को लगता है कि ‘मराठा कार्ड के साथ अगर हिंदुत्व’ का साथ भी मिल जाए तो पार्टी दोबारा अपनी पुरानी चमक में लौट सकती है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार