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भाईचारे की मिसाल: जन्माष्टमी पर श्रीनगर के लालचौक पर निकाली गई शोभायात्रा में मुस्लिम भी शामिल हुए

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कश्मीर में वर्षों बाद हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल श्रीनगर की सड़कों पर दिखाई दी. बता दें कि ऐसी यात्रा कश्मीर में कईं सालों के बाद देखने को मिली है जिसमें स्थानीय कश्मीरी समुदाय के लोगों ने भी भाग लिया है.

श्रीनगर के अलावा घाटी के कई जगहों पर भी जन्मोत्सव की धूम देखी गई. पहले बात शुरू करते हैं श्रीनगर के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक लाल चौक से . आज यह स्थान जन्माष्टमी के उत्सव पर भक्ति में सराबोर दिखाई दिया.

लाल चौक से भगवान श्रीकृष्ण की निकाली गई शोभायात्रा में कृष्ण की फूलों से झांकी सजी हुई थी. शोभायात्रा में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हुए . इस यात्रा में कश्मीरी पंडित समुदाय के पुरुष और महिलाओं ने कृष्ण की भक्ति संगीत पर नृत्य भी किया. हाथों में ढोलक और घंटियां लिए भगवान कृष्ण के सैकड़ों भक्त शोभायात्रा में भजन गाकर चल रहे थे.

भगवान श्री कृष्ण की शोभायात्रा कश्मीर के जिस-जिस बाजार से गुजरती गई वहां मौजूद लोगों ने जोरदार स्वागत किया. ‌ इस बार स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त को श्रीनगर का लाल चौक रंग-बिरंगी रोशनी से नहाया हुआ था. दूसरी ओर उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में कश्मीरी पंडितों ने जन्माष्टमी पर 32 साल बाद प्रभात फेरी निकाली. हंदवाड़ा में इससे पहले 1989 में जन्माष्टमी का कार्यक्रम का आयोजित किया गया था.

प्रभात फेरी की शुरुआत गणपत्यार मंदिर से हुई, जो जैंदार मोहल्ला, जहांगीर चौक, मौलाना आजाद रोड होते हुए रेजीडेंसी रोड तक पहुंची. श्रीनगर में जन्माष्टमी के इस कार्यक्रम के लिए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. शोभायात्रा के दौरान पुलिस प्रशासन के अफसर भी मौजूद थे.

वहीं दूसरी ओर जम्मू और आसपास के जनपदों में भी कृष्ण जन्माष्टमी की धूम रही. घाटी में आज जन्माष्टमी के अवसर पर हिंदू मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जो सौहार्द्र की मिसाल पेश की है वह बताता है कि अब घाटी में लोग अमन की जिंदगी जीना चाहते हैं. ‌वैसे भी पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में अब रौनक दिखाई देने लगी है. यहां के बाशिंदे भी विकास और रोजगार को लेकर गंभीर हो चले हैं.

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