आखिरकार दो साल बाद भाजपा और ओमप्रकाश राजभर करीबी देखने को मिली. बता दें कि इसकी शुरुआत मंगलवार सुबह यूपी की राजधानी लखनऊ से हुई. राजभर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के घर पहुंचे. दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में एक घंटे तक मुलाकात हुई.
इसके बाद ही सियासी गलियारों में चर्चा दौड़ने लगी कि राजभर फिर से ‘एनडीए’ का हिस्सा बनने जा रहे हैं. गौरतलब है कि राजभर बलिया जिले से आते हैं. यहीं से भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह भी हैं. दयाशंकर ने ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से राजभर की मुलाकात कराने में अहम भूमिका निभाई . स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात के बाद एक बार फिर से चर्चा में आए ओपी राजभर ने भाजपा के साथ आने के लिए कई ‘शर्ते’ रख दी हैं .
‘राजभर ने सरकार में शामिल होने के लिए शर्त रखते हुए कहा कि भाजपा अगर हमारी मांगें, जिसमें पिछड़ी जाति के व्यक्ति को सीएम उम्मीदवार के रूप में घोषित करना, जाति आधारित जनगणना, लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण, सामान्य और अनिवार्य मुफ्त शिक्षा, घरों में मुफ्त बिजली, शराब पर प्रतिबंध और सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करने के बाद, हम गठबंधन पर विचार कर सकते हैं’. यानि राजभर की शर्तों के अनुसार वो नहीं चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ दोबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कहा कि राजनीति में कुछ भी ‘असंभव’ नहीं है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया. वहीं भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने कहा कि ओम प्रकाश राजभर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दलितों और पिछड़ों के लिए किए गए कार्यों के प्रशंसक रहे हैं. ऐसे में वह हमारे साथ दोबारा भी आ सकते हैं. उनकी कोशिश है कि उन्हें दोबारा एनडीए में लाया जाए. लेकिन ओमप्रकाश की शर्तों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी बिल्कुल सहमत नहीं होंगे.
दूसरी ओर काफी समय से राजभर की पार्टी के साथ असदुद्दीन ओवैसी की गठबंधन की बात चल रही थी. लेकिन अब राजभर की भाजपा नेताओं के साथ मुलाकात के बाद प्रदेश की सियासत में ओवैसी को कोई नया साथी तलाशना होगा.