हमारे देश में कुछ बेकार मुद्दे ऐसे होते हैं जो व्यर्थ ही सुर्खियों में छाए रहते हैं. ऐसी बातों को बढ़ावा देने के लिए नेता कम जिम्मेदार नहीं हैं. आज हम चर्चा करेंगे कोरोना वैक्सीन की लॉन्चिंग की. बता दें कि कुछ दिनों से वैक्सीन को लेकर राजनीतिक दलों में सियासी जंग छिड़ गई है.
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस कोरोना टीके को भाजपा की चाल बताया, वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार के लिए राहत की बात रही कि जम्मू कश्मीर के धुर विरोधी नेता नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने उनका समर्थन किया. अब बात को आगे बढ़ाते हैं. शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि अब वैक्सीन आम लोगों को कभी भी लगाई जा सकती है. ‘स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा के बाद यह वैक्सीन तेजी के साथ सियासी गलियारे में घूमने लगी’.
शनिवार शाम होते-होते इस पर ‘सियासी घमासान’ भी शुरू हो गया. सबसे पहले उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पर तंज कसते हुए साफ कहा कि मैं मोदी सरकार की वैक्सीन नहीं लगाऊंगा, सपा अध्यक्ष ने कहा कि यह कोरोना महामारी भाजपा की विपक्षी नेताओं को फंसाने की चाल है.
अखिलेश के इस बयान के बाद हालांकि भाजपा के कई नेताओं उत्तर प्रदेश के दोनों उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसे गैर जिम्मेदार बताते हुए सपा अध्यक्ष पर निशाना साधा.
इसके बाद दिल्ली बीजेपी के नेता ‘कपिल मिश्रा ने कहा कि अखिलेश यादव को जो बीमारी हैं, उसका न कोई टीका बना है न बनेगा, कपिल ने कहा कि अखिलेश को मुस्लिम तुष्टिकरण की खतरनाक बीमारी है.
जब बीजेपी ने अखिलेश यादव को चारों तरफ से घेरा तो सपा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें वैज्ञानिकों की दक्षता पर पूरा भरोसा है, लेकिन बीजेपी की ताली-थाली वाली अवैज्ञानिक सोच पर बिल्कुल विश्वास नहीं है.
बता दें कि अखिलेश के बयान के बाद ‘समाजवादी पार्टी के ही एक विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा ने अखिलेश से दो कदम आगे बढ़ते हुए कहां की कोरोना वैक्सीन लोगों को नंपुसक बना देगी’.
यूपी की सियासत से निकलकर यह वैक्सीन कश्मीर तक पहुंच गई. ‘बता दें कि ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वैक्सीन को देशहित में बताया.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार