सरकार ने मकर संक्रांति के मौके पर स्कूलों में वैश्विक सू्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया है लेकिन इस पर राजनीति शुरू हो गई है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्लुल्ला को इसमें सांप्रदायिकता का रंग दिखा है.
इन नेताओं ने सूर्य नमस्कार को मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी बताया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर ने कहा है कि सरकारी बाबुओं को लोगों पर धार्मिक रिवाज नहीं थोपना चाहिए. उन्हें धार्मिक मामलों में दखलंदाजी देने का अधिकार नहीं है. वहीं, पीडीपी मुखिया महबूबा ने इसे शिक्षण संस्थाओं में सूर्य नमस्कार आयोजित करने को कश्मीरियों का अपमान करने वाला बताया है.
उमर ने अपने ट्वीट में कहा है कि ‘कल कोई मुस्लिम मुख्यमंत्री आदेश जारी कर यदि यह कहे कि सभी को रमजान का उपवास करना है तो गैर-मुस्लिम समुदाय को यह कैसा लगेगा? बाबुओं को धार्मिक प्रथाओं को लोगों पर थोपने से बाज आना चाहिए. उन्हें धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है.’
वहीं, पीडीपी नेता महबूबा ने कहा है कि ‘भारत सरकार का उद्देश्य मस्लिम समुदाय का अपमान करना है. स्कूलों के छात्रों एवं स्टॉफ को सूर्य नमस्कार के लिए बाध्य करना सांप्रदायिक सोच को बढ़ाने वाला है.’
लोगों में एक स्वस्थ जीवन शैली की शुरुआत के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने सूर्य नमस्कार कार्यक्रम की शुरुआत की है. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सरकार एक जनवरी से 20 फरवरी तक देश भर के स्कूलों में सूर्य नमस्कार एवं योगासन का आयोजन कर रही है.
ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी सरकार के इस पहल का विरोध किया है. मुस्लिम संगठन ने बयान जारी कर कहा है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और एक बहुसंख्यक समाज के रीति रिवाजों को सभी धर्मों पर थोपा नहीं जा सकता. एआईएमपीएलबी ने मुस्लिम छात्रों से सूर्य नमस्कार का बहिष्कार करने के लिए कहा है.