कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और मालगाड़ी के पटरी से उतरे सभी 21 डिब्बों को अब बालासोर में रेलवे पटरियों से हटाया दिया गया है. रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि लोकोमोटिव ग्राउंडिंग का काम चल रहा है, जबकि ट्रैक लाइनिंग और ओएचई का काम साथ में चल रहा है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मरम्मत के काम की निगरानी के लिए मौके पर मौजूद हैं. दुनिया भर के कई नेताओं ने इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनके प्रति आभार व्यक्त किया. अमेरिकी के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस घटना पर अपना दुख जताया है. बाइडेन ने शनिवार को कहा कि वह भारत में एक ट्रेन दुर्घटना की दुखद खबर से हतप्रभ हैं, जिसमें 280 से अधिक लोग मारे गए हैं.
ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनों के बीच हुई दुर्घटना लगभग तीन दशकों में भारत की सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक है. इसमें कम से कम 288 लोग मारे गए हैं और 1,000 से अधिक घायल हुए हैं. बालासोर ट्रेन हादसे को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. विपक्षी दलों ने कवच सेफ्टी सिस्टम पर भी सवाल खड़े किए हैं. इस बारे में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि इस हादसे का कवच से कोई लेना-देना नहीं है. कारण वह नहीं है जो ममता बनर्जी ने कल कहा था. यह दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुई.
ओडिशा ट्रेन हादसे की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को एक याचिका दायर की गई है. याचिका में आगे ऐसी घटनाओं से निपटने और रोकने के लिए केंद्र द्वारा दिशानिर्देश बनाने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जज की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट पैनल से बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका में आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से भारतीय रेलवे में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली को लगाने के लिए दिशा-निर्देश / निर्देश भी देने को कहा गया हैं. इसे कवच सुरक्षा प्रणाली भी कहा जाता है.