उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले अब एक और ‘फाइनल सियासी मुकाबला’ फिर शुरू हो चुका है. यह चुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सबसे बड़े माने जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के लिए यह चुनाव सत्ता में वापसी के लिए भी ‘अहम’ होंगे. भले ही यह चुनाव सीधे तौर पर जनता से नहीं जुड़े हुए हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में प्रभाव डालेंगे. हम बात कर रहे हैं जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव की. ‘पंचायत चुनाव के बहाने सभी राजनीतिक दलों की निगाहें 2022 के विधानसभा चुनावों पर टिक गई है, इन चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियों में जोड़तोड़ खेल भी शुरू हो गया है .
जिला पंचायत सदस्यों में निर्दलीयों व छोटे दलों के सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण विजयी सदस्यों को अपने पक्ष में करने के प्रयास किए जा रहे हैं. 75 जिलों में होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के पद के लिए नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य मतदान करेंगे. सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच इस पद को हथियाने को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि यह चुनाव इसी महीने में कराए जा सकते हैं, हालांकि अभी तक शासन से चुनाव की तारीख तय नहीं की गई है.
दूसरी ओर पंचायत चुनाव में सपा को मिली बढ़त के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी शुरू कर दी है . ‘सपा ने अभी तक 24 जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए हैं’. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुस्लिम-यादव पर दांव खेला है . बता दें कि अप्रैल में हुए पंचायत चुनाव में पीएम मोदी और सीएम योगी के गढ़ वाराणसी और गोरखपुर में भाजपा को समाजवादी पार्टी ने पीछे कर दिया था.
ऐसे ही अयोध्या में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है. जिससे सपा प्रमुख अखिलेश यादव उत्साहित नजर आ रहे हैं. इस बात जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा के लिए समाजवादी पार्टी से आगे निकलने के लिए बड़ी चुनौती भी होगी.
अब योगी सरकार की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पर टिकी निगाहें
पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने पर योगी सरकार पर सवाल उठे थे. ‘यूपी से लेकर दिल्ली तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समय उनके कई मंत्रियों को जवाब भी देना पड़ा है’. इसी को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में तीन दिन पहले सीएम आवास पर बैठक हुई थी, जिसमें केशव प्रसाद मौर्या, दिनेश शर्मा, संगठन महामंत्री सुनील बंसल मौजूद थे. बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव को लेकर मंथन किया गया.
योगी सरकार और संगठन के संयुक्त प्रयास से जिला पंचायत कब्जाने की रणनीति बनाई गई है. लेकिन अभी तक भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है . बता दें कि इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए बीजेपी किसी तरह से कमजोर नहीं पड़ना चाहती है, क्योंकि सदस्यों के चुनाव में जिस तरह से सपा के हाथों बीजेपी पिछड़ी है. ऐसे में ‘जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव बीजेपी सत्ता में रहते हुए हारती है तो पार्टी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीधा असर पड़ेगा’.
भाजपा यूपी में किसी भी जिले में आयोजित हुए जिला पंचायत चुनाव में बहुमत के आंकड़े को छू नहीं पाई थी इसके बावजूद पार्टी ने सूबे के 50 से ज्यादा जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए संगठन से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमर कस ली है.
तीन दिनों से लखनऊ में चली भाजपा मंत्रियों और संगठन से जुड़े नेताओं के बीच बैठक के बाद भले ही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष मुख्यमंत्री योगी की प्रशंसा कर गए हैं लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में शानदार जीत का भी संदेश दे गए हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार