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विशेष: अब दक्षिण को लेकर शुरू हुई भाजपा और कांग्रेस की सियासी लड़ाई

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सांकेतिक फोटो

कांग्रेस पार्टी को उत्तर भारत ने जब-जब निराश किया तो दक्षिण भारत ने उसकी भरपाई कर दी. दक्षिण के राज्यों में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी मुख्य रूप से आते हैं. इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने अपनी राजनीति पारी की शुरुआत ही दक्षिण भारत से की थी.

वर्ष 1978 में इंदिरा गांधी ने कर्नाटक के चिकमगलूर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद सोनिया गांधी ने कर्नाटक के ही बेल्लारी से 1998 में चुनाव लड़ा और सुषमा स्वराज को हराया. राहुल गांधी को जब उत्तर प्रदेश के अमेठी ने निराश किया तब वो केरल के वायनाड से वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव लड़े और जीते.

अब एक बार फिर राहुल गांधी भी दक्षिण को अपना ‘नया सियासी ठिकाना’ बनाना चाहते हैं. दो महीने से लगातार उनके केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के तूफानी दौरे संकेत देने लगे हैं कि अब राहुल गांधी को दक्षिण की सियासत खूब फल-फूल रही है.

राहुल के इन तीनों राज्यों में जाने का एक कारण यह भी है कि अगले चंद महीनों में पश्चिम बंगाल, आसाम के साथ तमिलनाडु-केरल और पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राहुल गांधी जब दक्षिण भारत के लोगों में ज्यादा ही लोकप्रिय है होने लगे तब भाजपा भी आक्रामक हो गई. पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने दक्षिण भारत से ‘कांग्रेस मुक्त अभियान’ को और तेज कर दिया.

22 फरवरी को पुडुचेरी में कांग्रेस विधायकों की बगावत और भाजपा के सियासी दांव के चलते कांग्रेस की नारायणसामी सरकार गिर गई. कांग्रेस के लिए दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पिछले चालीस वर्षों में यह पहला अवसर है जब पार्टी दक्षिण के किसी भी राज्य की सत्ता पर काबिज नहीं है.

यहां हम आपको बता दें कि 1975 में इंदिरा सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के बाद हुए आम चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था लेकिन दक्षिण भारत ने उसकी नैया को पूरी तरह डूबने से बचाया था.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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