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खेल रत्न पुरस्कार से राजीव गांधी का नाम हटा मेजर ध्यानचंद किया गया, पीएम ने किया एलान

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टोक्यो ओलंपिक के दौरान ही केंद्र सरकार ने खेल के सर्वोच्च पुरस्कार को लेकर देश में एक बड़ा फैसला किया. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड कर दिया गया है. शुक्रवार को इसकी घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की.

मोदी ने इस फैसला का एलान करते हुए कहा कि ये अवॉर्ड हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा. पीएम मोदी ने कहा है कि देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. जय हिंद. सरकार के फैसले को लेकर अभी हालांकि कांग्रेस की प्रतिक्रिया नहीं आई है.

इस अवार्ड को 1991-92 में शुरू किया गया था. तब इसका नाम देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था. इस अवार्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य खेल के क्षेत्र में सराहना और जागरूकता फैलाना है. साथ ही खिलाड़ियों को सम्मानित कर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाना है, ताकि वह समाज में और ज्यादा सम्मान प्राप्त कर सकें. आपको बता दें कि मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था. भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी. वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा. उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था.

1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए. तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं.’ तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा.

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