उतराखंड सरकार ने राज्य के प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज की इजाजत के आदेश कर दिए. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पूर्व में इसकी घोषणा की थी. इसके बाद अब दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.
राज्य के प्राइवेट अस्पतालों में अभी तक केवल उन्हीं मरीजों के इलाज की इजाजत थी जो वहां पहले से भर्ती हों और इलाज के दौरान उनमें संक्रमण पाया गया हो.
लेकिन अब सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना के मरीज भर्ती करने की इजाजत भी दे दी है. हालांकि इसके लिए अस्पताल का एनएबीएच मान्यता प्राप्त होना जरूरी है. साथ ही अस्पताल में आईसीयू की सुविधा, क्लीनिकल एस्टेब्लिसमेंट एक्ट में पंजीकरण, कोरोना मरीजों के लिए अलग वार्ड, अलग प्रवेश व निकासी द्वार, 24 घंटे इमरजेंसी, 24 घंटे फार्मेसी, आईसोलेशन वार्ड के प्रत्येक बेड तक आक्सीजन सुविधा होना जरूरी है.
इसके साथ ही अस्पतालों के लिए बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के मानकों, मेडिकल पैरामेडिकल स्टाफ के लिए कोविड प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण अनिवार्य है. अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों व अन्य स्टाफ को सुरक्षा प्रदान करनी होगी.
प्राइवेट अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों का इलाज आईसीएमआर की गाइललाइन के अनुसार होगा और सभी मरीजों की सूचना मुख्य चिकित्सा अधिकारी या सर्विलांस अधिकारी को रियल टाइम के आधार पर अनिवार्य रूप से देनी होगाी.
सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना इलाज की इजाजत तो दे दी. लेकिन इलाज की दर तय नहीं की गई है. सरकार के आदेश में कहा गया है कि अस्पतालों को मरीजों का इलाज वास्तविक, न्यूनतम दरों पर करना होगा. हालांकि यदि अस्पताल में भर्ती किसी मरीज की जांच कराई जाती है तो जांच की दर राज्य सरकार द्वारा तय कीमतों के अनुसार ही होगी.
विदित है कि सरकार ने प्राइवेट लैब के लिए कोरोना जांच की दर सैंपल लेने की दशा में 2400 जबकि सैंपल दूसरे अस्पताल से आने पर दो हजार में करने के निर्देश दिए हैं.
सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना इलाज की इजाजत देने के संदर्भ में एक समिति गठित की थी. हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विवि के कुलपति प्रो हेमचंद्रा और दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है.
विदित है कि राज्य में कोरोना के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. और भविष्य में मरीजों की संख्या बढ़ने पर प्राइवेट अस्पतालों की जरूरत पड़ सकती है. इसे देखते हुए अब प्राइवेट अस्पतालों को भी इलाज की इजाजत दी गई है.