प्योंगयांग|…. उत्तर कोरिया ने एक बार फिर अपने विनाशक हथियारों की नुमाइश दुनिया के सामने की है. मिलिट्री परेड के जरिए अपनी सैन्य ताकत का यह प्रदर्शन उत्तर कोरिया ने ऐसे समय किया जब अमेरिका में जो बिडेन के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी चल रही है.
बिडेन 20 जनवरी को नए राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने जा रहे हैं. उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने सैन्य परेड में पनडुब्बी से दागे जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को ‘दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार’ होने का दावा किया है.
यह सैन्य परेड सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की अहम बैठक के बाद हुई है. इस बैठक में किम जॉन्ग उन ने अमेरिका को अपना ‘सबसे बड़ा दुश्मन’ बताया है. समझा जाता है कि अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर उत्तर कोरिया अमेरिका के साथ नए सिरे से टकराने के लिए भूमिका तैयार कर रहा है. उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने इस सैन्य परेड की तस्वीरें जारी की हैं. एक तस्वीर में चार बड़े ट्रकों पर काले और सफेद कवच वाली चार मिसाइलों को देखा जा सकता है.
उत्तर कोरिया के बारे में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि ये नई मिसाइलें हैं क्योंकि इन्हें पहले नहीं देखा गया है. विशेषज्ञ अंकित पांडा ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘नया साल, नया पुकगुकसॉन्ग.’ इस सैन्य परेड के दौरान किम जॉन्ग उन भी दिखाई दिए. प्योंगयांग के किम उल सुंग स्क्वॉयर से गुजरती अपनी सैन्य ताकत को देखकर वह हाथ उठाए और मुस्कुराते हुए नजर आए. स्क्व़ॉयर से थल सेना, तोपखाने और टैंक का जत्था भी गुजरा.
उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी का कहना है, ‘पनडुब्बी से दागी जाने वाली दुनिया की सबसे ताकतवर बैलिस्टिक मिसाइल रिवोल्यूशनरी ऑर्म्ड फोर्सेज की ताकत का प्रदर्शन करते हुए एक-एक कर स्क्वॉयर से होकर गुजरती हुईं.’ हालांकि गुरुवार को हुए इस सैन्य परेड में उत्तर कोरिया की सबसे बड़ी अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) नजर नहीं आई. उत्तर कोरिया का दावा है कि उसकी आईसीबीएम मिसाइल अमेरिका के किसी भी शहर को निशाना बना सकती है. इसे पिछले साल मिलिट्री परेड में शामिल किया गया था. हालांकि, इसके आकार ने रक्षा विशेषज्ञों में आशंका जताई.
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के समय किम जोन्ग उन अपने इरादे पहले से जाहिर कर देना चाहते हैं. पार्टी की बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि ‘प्योंगयांग के रास्ते में अमेरिका सबसे बड़ी बाधा है…सत्ता में कौन है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अमेरिका की नीति उत्तर कोरिया के लिए कभी नहीं बदलेगी.’ विशेषज्ञों का मानना है कि अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर उत्तर कोरिया अमेरिका में नए प्रशासन को एक संदेश भेजना चाहता है.
पिछले चार वर्षों के दौरान अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव का स्तर लगातार बढ़ता रहा. अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप और सैन्य तानाशाह किम जोन्ग उन के बीच जुबानी जंग इतनी तेज हुई कि कई बार ऐसा लगा कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ टकरा जाएंगे. ट्रंप और किम ने एक-दूसरे को चुनौती और परमाणु हथियारों को लेकर एक-दूसरे को धमकी दी.
साल 2018 में सिंगापुर में दोनों नेताओं के बीच एक मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद भी उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई. इसके बाद 2019 में हनोई की बैठक में अमेरिका ने प्रतिबंधों में राहत देने की प्योंगयांग की मांग ठुकरा दी जिसके बाद दोनों देशों के रिश्ते एक बार फिर तल्ख हो गए.