‘साल 2020 अब अंतिम पड़ाव पर है. चंद घंटों में इस साल को सब भूलना तो चाहते हैं, लेकिन भूल नहीं पाएंगे. कोरोना त्रासदी की कड़वी यादें ऐसा होने नहीं देंगी. खौफ, दर्द और गम के बीच कोरोना ने हमें मानवता का पाठ भी पढ़ाया. व्यवस्था को नए तरीके से परिभाषित किया. इस साल हर किसी ने कुछ न कुछ जरूर सीखा.
बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ना, तो टीचरों ने ऑनलाइन पढ़ाना सीखा. कई लोगों ने पहली बार डिजिटल पेमेंट किया. यह इस दौर की सबसे बड़ी सीख है. मुश्किलें आती हैं, कई बार अपने भी दूर हो जाते हैं. यही नहीं यह महामारी हजारों जिंदगी छीन ले गई, जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर रहे थे.
डरे और सहमे लोगों को कुछ भी सूझ नहीं रहा था. यही नहीं लोग इतने डिस्टर्ब थे, उन्हें लगने लगा था कि कुछ ठीक नहीं हो रहा है इसके बावजूद रफ्तार थमी नहीं और जीवन पहले की तरह चलता रहा’. अच्छी-बुरी यादों के साथ 2020 अब विदा ले रहा है और नया साल आने वाला है.
इस नए साल से लोगों को बेहद उम्मीद है, हर किसी के मन में ढेर सारी आशाएं और सपने हैं कि साल 2021 चरमराई हुई व्यवस्था एक बार फिर पटरी पर आ जाएगी. आरंभ अच्छा हो तो अंत भी अच्छा होता है, इसलिए हर कोई अच्छे कार्यों से नए साल की शुरुआत करना चाहता है.
नया साल सभी के लिए खुशियां लेकर आए, इसी उम्मीद से सभी लोग नव वर्ष का स्वागत करने के लिए तैयार हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार