पाकिस्तान की सियासत में कई दिनों से उथल-पुथल का दौर जारी है. इमरान खान की सत्ता को गिराने के लिए समूचा विपक्ष पूरा जोर लगाए हुए हैं. इमरान सरकार और विपक्ष की रस्साकशी में सुप्रीम कोर्ट की भी एंट्री हो चुकी है.
पिछले दिनों जब विपक्ष के इमरान सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को इमरान खान ने अपने सियासी दांव की वजह से नहीं होने दिया था. इमरान के कहने पर ही राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया और 90 दिन के अंदर चुनाव कराने के आदेश जारी किए थे.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बार फिर विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई. कोर्ट के आदेश के अनुसार आज पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के द्वारा इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है. सही मायने में विपक्ष पाकिस्तान में सत्ता पाने के लिए छटपटा रहा है.
लेकिन खिलाड़ी इमरान खान भी हर सियासी दांव आजमा रहे हैं. सुबह से ही इमरान खान नेशनल असेंबली में नहीं पहुंचे हैं. इमरान खान ने एक और दांव चला. इमरान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ ने सुप्रीम कोर्ट में शनिवार दोपहर रिव्यू पिटिशन दायर कर दी है.
दूसरी ओर विपक्ष के पूरी तरह गिरफ्त में आ चुके इमरान खान प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे सकते हैं. पाकिस्तान के सियासी घटनाक्रम को लेकर तमाम मुल्कों की अविश्वास प्रस्ताव को लेकर निगाहें लगी हुई है. पाकिस्तान की राजनीति के लिए आज अहम दिन हैं. क्योंकि नेशनल असेंबली में वोटिंग होनी है.
लिहाजा इमरान खान सरकार रहेगी या नहीं, ये तो वोटिंग के बाद ही तय होगा. बता दें कि पाक संसद में कुल सांसदों की संख्या 342 है. यानी इमरान खान को फ्लोर टेस्ट पास करने के लिए 172 वोट हासिल करने होंगे. लेकिन मौजूदा वक्त में इमरान खान की सरकार को 142 सांसदों का ही समर्थन हासिल है, जबकि विपक्ष अपने साथ 199 सांसदों के होने का दावा कर रहा है.
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर किया है. बता दें कि आज रात विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है, उससे पहले ही पीटीआई ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दायर कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इमरान सरकार को झटका देते हुए डिप्टी स्पीकर के फैसले को पलट दिया था और नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का आदेश दिया था. अविश्वास प्रस्ताव के बाद इमरान खान की सरकार का जाना लगभग तय माना जा रहा है.