हरियाणा में खट्टर सरकार बच गई है. दरअसल, कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, लेकिन बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार को विश्वास मत में बहुमत मिल गया. सरकार के पक्ष में 55 वोट मिले.अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 31 वोट पड़े.
हरियाणा विधानसभा में बुधवार को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से भाजपा-जजपा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया और इस दौरान नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सत्ताधारी दल ने लोगों का विश्वास खो दिया है.
प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद अध्यक्ष ने मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार किया और इस पर चर्चा के लिए दो घंटे का समय तय किया. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘मुझे नेता प्रतिपक्ष (भूपेंद्र सिंह हुड्डा) और कांग्रेस के 27 अन्य विधायकों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव प्राप्त हुआ है.’
हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाले हरियाणा मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए सदन में कहा कि राज्य सरकार ने लोगों का विश्वास खो दिया है.
सदन में खट्टर ने कहा कि ‘नो कॉन्फिडेंस’ कांग्रेस की संस्कृति है.जब पार्टी चुनाव हार जाती है, तो ईवीएम पर कोई विश्वास नहीं होता है, सर्जिकल स्ट्राइक के लिए, इन्होंने सबूत मांगा.’अलोचना के लिए अलोचना नहीं करनी चाहिए.अगर कांग्रेस सत्ता में है, तो सब ठीक है, लेकिन अगर यह भाजपा है, तो नहीं है.
‘अविश्वास संस्कृति’ कांग्रेस की पुरानी परंपरा है.हालांकि इस अविश्वास को पार्टी के भीतर देखा जा सकता है, पीसी चाको ने पार्टी छोड़ दी (आज).कभी-कभी G-23 में ये दिखता है. अविश्वास राज्य में सुरजेवाला और हुड्डा साहब में है. अविश्वास की कार्यशैली कांग्रेस को लाभ नहीं देने वाली, विश्वास ही लाभ देगा.’
हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में सदस्यों की कुल संख्या 88 है, जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा के 40 सदस्य, जजपा के दस और कांग्रेस के 30 सदस्य हैं. सात निर्दलीय विधायक हैं और एक सदस्य हरियाणा लोकहित पार्टी का है, जिसने सरकार को अपना समर्थन दिया हुआ है.
इससे पहले हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा था, ‘अविश्वास प्रस्ताव से लोगों को पता चलेगा कि कितने विधायक सरकार के साथ हैं और कितने विधायक किसानों के साथ खड़े हैं.’