वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश कर दिया है. बजट में कोरोना वायरस संकट से उबरती अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज देने की कोशिश की गई. वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है.
पिछले साल भी इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया था. यानी एक बार फिर से आम आदमी के हाथ में निराशा लगी है. उन्हें पहले की तरह ही टैक्स नियमों का पालन करना होगा. आइए जानते हैं उनके पास कौन से विकल्प मौजूद हैं.
इनकम टैक्स के दो स्लैब
फिलहाल इनकम टैक्स के लिए सरकार ने 2 विकल्प दिए हैं. 1 अप्रैल 2020 से केंद्र सरकार ने नया ऑप्शन दिया था. नए टैक्स स्लैब में 5 लाख रुपसे से ज्यादा की आय पर टैक्स की दरें तो कम रखी गईं, लेकिन इसके तहत करदाताओं को डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता है. वहीं पुराने टैक्स स्लैब के तहत करदाताओं को टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है.
पहले और दूसरे स्लैब में दरों के अलावा बड़ा अंतर करदाताओं को मिलने वाली छूटों का है. पहले विकल्प में करदाताओं को कई तरह की टैक्स छूट का लाभ मिलता है. दूसरे टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की आय तक कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन इसमें पुरानी कई छूटों को खत्म कर दिया गया था. टैक्सपेयर अपनी सुविधानुसार दोनों में को कोई भी टैक्स की व्यवस्था चुन सकते हैं.
मालूम हो कि आयकर स्लैब में सेक्शन 80सी के तहत निवेश करके अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट का लाभ मिलता है. दूसरी कर व्यवस्था में रियायती दरों का विकल्प चुनने वाले करदाताओं को पहली कर व्यवस्था में उपलब्ध कुछ छूट और कटौती को छोड़ना होगा. सरकार ने 70 कटौतियों की अनुमति दूसरे टैक्स स्लैब में नहीं दी है.
पहले जैसा सीनियर सिटीजन के लिए टैक्स स्लैब
एक निवासी जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक है लेकिन पिछले वर्ष के दौरान उसकी आयु 80 साल से कम थी, तो उसे वरिष्ठ नागरिक माना जाता है. वहीं एक सुपर सीनियर सिटीजन वह होता है जिसकी आयु पिछले वर्ष के दौरान किसी भी समय 80 साल या उससे अधिक थी.
वरिष्ठ नागरिक और सुपर सीनियर सिटीजन दो कर व्यवस्थाओं में से किसी का भी चयन कर सकते हैं. (आयकर अधिनियम की धारा 115 बीएसी के तहत). नई कर व्यवस्था में रियायती दरों का विकल्प चुनने वाले करदाता को मौजूदा कर व्यवस्था में उपलब्ध कुछ छूट और कटौती (जैसे 80C, 80D, 80TTB, HRA) की अनुमति नहीं होगी.