देश में कोरोना महामारी लंबे समय तक पैर पसारती ही रहेगी लेकिन राजनीति, सत्ता के लिए ‘शहमात’ का खेल नहीं रुकना चाहिए. इस महामारी को दरकिनार कर बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की ‘चौसर सजनी शुरू हो गई है’. राज्य में पिछले कई दिनों से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई थी. हालांकि अभी निर्वाचन आयोग ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान नहीं किया है.
जनता पर अपनी पकड़ और लंबे चौड़े वादों की घोषणा करने के लिए भाजपा, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी में होड़ लगी हुई है. उसी कड़ी में आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्चुअल रैली से राज्य विधानसभा चुनाव के लिए ‘शंखनाद’ बजा दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस हुंकार रैली को ‘निश्चय संवाद’ का नाम दिया.
रैली में नीतीश कुमार ने कोरोना काल में किए गए कामों का बखान करते हुए विपक्ष को करारा जवाब दिया. उन्होंने आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव पर भी हमला करतेेेे हुए कहा कि बिहार में अब बिजली आ गई है, इसलिए ‘लालटेन’ की जरूरत नहीं है . यहां हम आपको बता दें कि लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का चुनाव चिन्ह लालटेन है, इसी को लेकर नीतीश कुमार ने उन पर हमला बोला.
सभी जातियों के नेताओं को मंच पर बैठा कर नीतीश कुमार ने खेला ‘चुनावी मास्टरस्ट्रोक’
जेडीयू ने वर्चुअल रैली के माध्यम से हर जातियों के नेताओं को मंच पर बिठाकर ‘सोशल इंजीनियरिंग का चुनावी मास्टरस्ट्रोक’ चला. जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वर्चुअल रैली ‘निश्चय संवाद’ के माध्यम से बिहार विधानसभा चुनाव अभियान का श्रीगणेश कर दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेडीयू प्रदेश मुख्यालय में नवनिर्मित कर्पूरी सभागार के मंच पर 15 नेताओं के बैठने की व्यवस्था की गई.
नीतीश कुमार ने मंच पर ऐसे नेता को जगह दी है, जिसके जरिए बिहार में सोशल इंजीनियरिंग की झलक दिखाई दे. नीतीश के साथ मंच पर ब्राह्मण, कुर्मी, दलित, भूमिहार से लेकर यादव समुदाय तक को संदेश देने की कोशिश की. यहां हम आपको बता दें कि दो दिन पहले उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने दलित राजनीति को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा था.
इसी को लेकर नीतीश कुमार ने आज मंच पर सर्वजातीय का संदेश बिहार की जनता को लुभाने का काम किया. वर्चुअल रैली में नीतीश कुमार ने कहा कि मैं कभी अपने काम का प्रचार नहीं करता. बहुत लोगों को काम कम प्रचार ज्यादा करना होता है. सही मायने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज बिहार विधानसभा का चुनावी बिगुल फूंक कर राष्ट्रीय जनता, लोक जनशक्ति पार्टी, कांग्रेस और अपने सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी को भी जगा दिया है.
दलित मुद्दे पर एलजीपी और जेडीयू के बीच शुरू हुई जुबानी जंग
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में दलित वोट हड़पने के लिए जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी और बसपा में होड़ लगी हुई है. कुछ दिनों पहले बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और सीएम नीतीश कुमार के बीच जुबानी जंग हो चुकी है. अब लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान और जनता दल यूनाइटेड में घमासान जारी है. चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के दलित दांव पर सवाल उठाया तो जेडीयू आग बबूला हो गई है. जेडीयू ने चिराग पासवान को चेतावनी दी.
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि चिराग पासवान को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. चिराग अगर खुद को एनडीए का हिस्सा मानते हैं तो वह नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी न करें. बीजपी के साथ हमारा गठबंधन है, एलजेपी के साथ नहीं. यहां हम आपको बता दें कि एलजेपी नेता चिराग ने नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों से किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों के परिजन को सरकारी नौकरी देने का नीतीश का फैसला और कुछ नहीं, बल्कि चुनावी घोषणा है. इसी मामले में जेडीयू और एलजीपी के बीच ठनी हुई है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार