उत्तराखंड में नील गाय और जंगली सूअर को नाशक पशु यानी वर्मिन घोषित कर दिया गया है. इस तरह फसल को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में इन जानवरों को मारा जा सकेगा.
पशुपालकों के हक में ये बड़ा फैसला है, हालांकि वनरोज यानी नील गाय और जंगली सूअर को मारने के लिए वन विभाग ने कड़े नियम-कायदे बनाए हैं. उत्तराखंड में खेती दम तोड़ रही है, इसकी एक बड़ी वजह जंगली जानवर हैं.
बंदर, वन रोज और जंगली सूअर पहाड़ों में खेती को बर्बाद कर रहे हैं. काश्तकार समय-समय पर इनसे छुटकारा दिलाने की मांग करते रहे हैं. अब वन्यजीव प्रतिपालक की शक्तियों के तहत जंगली सूअर और नील गाय को नाशक पशु (वर्मिन) घोषित किया है.
इन वर्मिन घोषित वन्यजीव को डीएफओ की अनुमति के बाद मारा जा सकता है. हालांकि इसके लिए कई नियम लागू किए गए हैं.
इन नियमों के बारे में भी जान लें. विभाग द्वारा जिन पशुओं को मारने की अनुमति दी जाएगी. वो सिर्फ 15 दिन तक मान्य होगी. शिकार सिर्फ वन भूमि से बाहर होगा.
अगर पशु घायल होकर जंगल में दाखिल हो गया तो लोग उसे नहीं मार सकेंगे. विधिवत आवेदन में प्रधान की संस्तुति अनिवार्य है.
शिकार सिर्फ बंदूक या राइफल से किया जा सकता है. इस वक्त जंगली जानवर सिर्फ फसल ही बर्बाद नहीं कर रहे, बल्कि लोगों पर हमला कर उनकी जान भी ले रहे हैं.
प्रदेश में इस साल जंगली सूअर के हमले में 30 से ज्यादा लोग घायल हुए. हमले में दो लोगों की जान भी जा चुकी है.
सूअर फसल के साथ-साथ फलों के पेड़ों को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. अब प्रदेश में शर्तों के साथ इन जीवों को मारने की अनुमति दे दी गई है.