सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो , प्रवर्तन निदेशालय और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के बाद एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एंट्री हो सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस केस में ड्रग्स कनेक्शन आने के बाद से कई बड़े खुलासे हुए हैं, जिसके बाद इनकी जांच के लिए केंद्र सरकार ने एनआईए को मंजूरी दे दी है.
सरकार के सीनियर अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े केस की एनआईए जांच का यह बड़ा कारण हो सकता है.
बता दें कि इस एजेंसी का गठन मूल रूप से आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच के लिए किया गया था.
दरअसल, वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी की.
इसमें कहा गया कि धारा 53 द नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के अनुसार, केंद्र राज्यों के साथ परामर्श करने के बाद एनआईए में निरीक्षकों के रैंक से ऊपर के अधिकारियों को शक्तियों का प्रयोग करने और कर्तव्यों का पालन करने के लिए आमंत्रित करता है.’
बता दें कि ये धारा सरकार को किसी भी अधिकारी को इस अधिनियम के तहत अपराधों की जांच के लिए एक पुलिस स्टेशन की शक्तियां प्रदान करने की अनुमति देती है.
ड्रग्स चैट मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. सोमवार रात से इस केस में दीपिका पादुकोण और उनकी मैनेजर करिश्मा प्रकाश के बीच हुई बातचीत के हिस्से सामने आ रहे थे.
इनमें दीपिका के लिए D और करिश्मा के लिए K कोडनेम का इस्तेमाल किया जा रहा था. दीपिका-करिश्मा के बीच यह बातचीत 28 अक्टूबर 2017 को हुई थी.
अब इसमें दीया मिर्जा का नाम भी सामने आ रहा है. एनसीबी जल्द ही इन दोनों एक्ट्रेस को समन भेजेगी.
इस बीच सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच को आखिरी मुकाम पर पहुंचाने के लिए सीबीआई की टीम आज एक हफ्ते के लिए दोबारा मुंबई जा रही है.
सुशांत केस मे लगातार 21 दिनों की जांच के बाद सीबीआई टीम कुछ दिनों पहले ही दिल्ली लौटी है.
पिछले तीन दिनों से सीबीआई मुख्यालय में अब तक की जांच के नतीजों को लेकर बैठके हुईं.
सीबीआई को अभी तक ऐसा कोई सबूत नही मिला है जिससे ये साबित होता हो कि सुशांत की हत्या की गई है.
सीबीआई अब दिशा साल्यान के केस में इसका कोई कनेक्शन ढूंढने की कोशिश में है.
सूत्रों के मुताबिक, एम्स की फोरेंसिक टीम अपनी रिपोर्ट अगले सप्ताह सीबीआई को सौंपने जा रही है.
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई की तरफ से फोरेंसिक टीम को स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि वो अपनी रिपोर्ट में उन्हीं बातों का जिक्र करें, जिन्हें कोर्ट में साबित किया जा सके; क्योंकि इस मामले मे सीबीआई ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे उसे कोर्ट की फटकार का सामना करना पड़े.