नई दिल्ली| भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मई से तनाव जारी है. इस बीच सैन्य प्रतिनिधि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अगले हफ्ते आठवीं बार बातचीत करेंगे.
इससे पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर फोर्स की तैनाती कम करने के मुद्दे पर सभी दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी.
अब सर्दियां भी आ गई हैं और सैनिकों को शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान में वहां रहना पड़ रहा है. इस बार लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के मेनन भारत की ओर से बातचीत का नेतृत्व करेंगे, जबकि विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहेंगे.
एक अंग्रेजी अख़बार के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि अगले दौर की बातचीत काफी हद तक पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण के किनारों पर दोनों ओर से सैनिकों की टुकड़ी को पीछे वापस भेजने को लेकर हो सकती है.
यहां मई से ही दोनों देशों की सैनिकों के बीच टकराव बना हुआ है. ये इलाका भारत के हिस्से में आता है, मगर चीनी सैनिक यहां से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
इससे पहले दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने भारत-चीन सीमा पर छह महीने से चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए सात बार मुलाकात की थी. अंतिम बैठक 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें भी कोई फैसला नहीं निकल पाया था.
बैठक के बाद, भारतीय सेना ने एक बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फोर्स की तैनाती कम करने को लेकर रचनात्मक बातचीत की.
सेना ने ये भी कहा था कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने के लिए सहमत हैं, और जितनी जल्दी हो सके फोर्स कम करने पर राजी हो जाएंगे.
30 अगस्त को, भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित महत्वपूर्ण पहाड़ी ऊंचाइयों — रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबोप पर कब्जा कर लिया था, जो तब तक मानव रहित थे. भारत ने ब्लैकटॉप के पास कुछ फोर्स की तैनाती भी की है.
बता दें कि भारत और चीन के बीच हालिया तनाव की शुरुआत 5 मई को हुई. नॉर्थ सिक्किम के पैंगोंग त्सो लेक के पास भारत एक सड़क बना रहा था. चीन ने इसका विरोध किया. दोनों देशों के सैनिकों की झड़प हुई. यहां से बढ़ता मामला लद्दाख पहुंचा.
पूर्वी लद्दाख में फिंगर एरिया और गलवान घाटी में चीनी सेना ने टेंट लगा लिए. भारत ने इन्हें हटाने को कहा. 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों की झड़प हुई. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए. दावा है कि चीन के भी 43 सैनिक मारे गए. हालांकि, उसने इसकी पुष्टि नहीं की.