काठमांडू|…. नेपाल के सुप्रीमकोर्ट ने संसद भंग करने वाले फैसले को लेकर नेपाल सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि रविवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और मध्यावधि चुनावों की घोषणा कर दी थी.
बता दें, इससे पहले नेपाल के सुप्रीमकोर्ट ने संसद भंग करने के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के फैसले के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को बुधवार को संविधान पीठ के पास भेज दिया था. वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी पर नियंत्रण के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों के बीच संघर्ष और तेज हो गया है.
प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र एसजेबी राणा की एकल पीठ ने प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ दायर 12 अलग-अलग याचिकाओं पर आरंभिक सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. संविधान पीठ में याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई शुरू हुई.
आरंभिक सुनवाई के दौरान बुधवार को वरिष्ठ वकीलों ने संविधान के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए दलीलें दीं कि प्रधानमंत्री ओली के पास संसद को भंग करने का अधिकार नहीं है क्योंकि वैकल्पिक सरकार के गठन की संभावना है.
एक याचिकाकर्ता के वकील दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि संविधान के मुताबिक बहुमत वाली संसद को भंग किए जाने पर नया जनादेश लेने के पहले दो या दो से ज्यादा राजनीतिक दलों द्वारा वैकल्पिक सरकार के गठन का रास्ता तलाशा जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ओली प्रतिनिधि सभा को अचानक भंग कर वैकल्पिक सरकार के गठन की प्रक्रिया को बाधित नहीं कर सकते.
काठमांडू: संसद भंग करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल सरकार को भेजा कारण बताओ नोटिस
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