कठमांडू|… दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट चोमोलुंगमा की संशोधित ऊंचाई – जिसे नेपाली में एवरेस्ट और सागरमाथा के नाम से जाना जाता है. यह माना जा रहा था कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नेपाल में वर्ष 2015 में विनाशकारी भूकंप आने के बाद कम हो गई थी.
नेपाल के सर्वेक्षण विभाग ने माउंट एवरेस्ट जिसे नेपाल में सागरमाथा कहते हैं, की सही ऊंचाई को नापने का जिम्मा लिया. चीन और नेपाल ने एवरेस्ट की नई ऊंचाई के बारे में बताया कि इसमें थोड़ी सी बढ़ोतरी हुई है. एवरेस्ट की नई ऊंचाई अब बढ़कर 8848.86 मीटर हो गई है.
एवरेस्ट की ऊंचाई में 86 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी
माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई का ऐलान नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने संयुक्त रूप से किया. एवरेस्ट की ऊंचाई में 86 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है.
दरअसल नेपाल में वर्ष 2015 में बहुत जोरदार भूकंप आया था और बहुत बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी. उस समय से ही यह आशंका जताई जाने लगी थी कि माउंट एवरेस्ट का भी नुकसान हुआ होगा.
वैज्ञानिकों को आशंका थी कि एवरेस्ट की ऊंचाई में कमी आई होगी. हालांकि अब नए तथ्य के हिसाब से माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
चीन ने पिछले दिनों 30 सदस्यीय सर्वेक्षण दल को माउंट एवरेस्ट को नापने के लिए रवाना किया था. यह चीनी दल माउंट चोमोलुंगमा बेस कैंप से एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए रवाना हुआ था. एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचकर इस दल ने ग्लोबल सैटेलाइट सिस्टम की मदद से विश्व की इस सबसे ऊंची चोटी की माप की थी.
एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले इस दल में पेशेवर पर्वतारोही और चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय सर्वेक्षक शामिल थे. इस सर्वे दल ने ग्लोबल नैविगेशन सैटेलाइट और ग्रैवीमीटर की मदद से एवरेस्ट की ऊंचाई नापी.
इस साल के अप्रैल महीने की शुरुआत में सर्वे टीम चोमोलुंगमा बेस कैंप पहुंच गई थी. वर्ष 1949 से चीन के सर्वेक्षण दल ने अब तक 6 बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है और ऊंचाई नापी है.
चीन ने वर्ष 1975 और 2005 में एवरेस्ट की ऊंचाई जारी की थी. वर्ष 1975 में एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848.13 मीटर और वर्ष 2005 में 8,844.43 मीटर थी.