राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्कूलों की स्थिति पर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. एनसीपीसीआर प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने कहा कि कई स्कूलों का दौरा करने के बाद हमने देखा कि उनमें से कई में स्कूल के प्रमुख (HoS) का पद खाली था. हमने सरकार को इस पर अपनी तथ्यात्मक स्थिति पेश करने की चेतावनी दी है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा नहीं है. हमें ऐसी इमारतें मिलीं जहां पढ़ाना छात्रों के जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है. व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए लड़कियों को केवल सिलाई सिखाई जाती है, जिससे लैंगिक असमानता पैदा होती है. लोग निजी स्कूलों पर ज्यादा निर्भर हैं.
5 में से केवल 1 स्कूल में प्रिंसिपल होने के एनसीपीसीआर के पत्र पर आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक आतिशी ने कहा कि हमने प्रिंसिपल्स की भर्ती के लिए कई अनुरोध किए हैं लेकिन यूपीएससी ने अभी तक फाइलों को आगे नहीं बढ़ाया है. हमने एनसीपीसीआर से दिल्ली और अन्य राज्यों के स्कूलों का भी निरीक्षण करने का आग्रह किया है.
एनसीपीसीआर ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली के 1027 स्कूलों से सिर्फ 203 ऐसे स्कूल हैं जिनमें प्रधानाचार्य हैं. उसने महत्वपूर्ण पदों के खाली होने के संदर्भ में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव को लिखे पत्र में एनसीपीसीआर ने कहा कि उसके प्रमुख की अगुवाई वाली टीम ने दिल्ली में कई स्कूलों का दौरा किया और पाया कि आधारभूत अवसंरचना तथा कई अन्य पहलुओं में खामियां हैं.
एनसीपीसीआर के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए, दिल्ली सरकार ने आयोग से कहा कि वह प्राचार्यों की नियुक्ति के बारे में केंद्र से जानकारी मांगे. सरकार ने एक बयान में कहा कि एनसीपीसीआर को केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए क्योंकि दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड सेवा विभाग के अंतर्गत आता है. सेवा चयन बोर्ड सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाता है.
दिल्ली के सरकारी स्कूलों पर उठे सवाल, एनसीपीसीआर ने सामने रखी स्थिति
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