राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को देश में सहकारी समितियों को ऋण प्रदान करने के लिए जर्मनी के सबसे बड़े बैंक डॉयचे बैंक से 68.87 मिलियन यूरो यानी 600 करोड़ रुपए का ऋण मिला है.
इस संबंध में मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की उपस्थिति में एनसीडीसी और जर्मन बैंक के बीच एक समझौता किया गया है. इसके अलावा कृषि मंत्री तोमर ने बाजारों के साथ किसानों के संबंध को बेहतर बनाने के लिए इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स और एनसीडीसी के बीच हुई बैठक की अध्यक्षता की.
समझौते के मौके पर कृषि मंत्री तोमर ने कहा, “प्रधानमंत्री ने देश के कृषि परिदृश्य और जर्मनी के साथ अपने आर्थिक संबंधों को एक नई दृष्टि दी है. स्थापित किए जा रहे किसान उत्पादक संगठन आईसीसी और डॉयचे बैंक के साथ एनसीडीसी समझौतों के माध्यम से आसान ऋण और बाजार तक पहुंच बनाने में काफी मदद मिलेगी.”
भारत में डॉयचे बैंक द्वारा की गई पहल, गत वर्षों में भारत में जर्मन कंपनियों द्वारा दिखाये गये व्यावसाय अभिरुचियों में से एक है. वर्तमान में भारत में 1700 से अधिक जर्मन कंपनियां सक्रिय हैं, जो लगभग 4,00,000 प्रत्यकक्ष एवं अप्रत्यरक्ष रुप से नौकरियां प्रदान करती हैं . यूरोप एवं भारत के मुख्य दस वैश्विैक व्या,पारिक भागीदारों में, जर्मनी भारत का सबसे शीर्ष व्या पारिक भागीदार है .
एनसीडीसी कृषि एवं किसान कल्या ण मंत्रालय के अंतर्गत एक विकासात्मूक एवं वित्तर पोषण संस्था न है. वर्ष 2014 से अब तक विभिन्नष प्रकार की सहकारिताओं को 16 बिलियन यूरो ऋण प्रदान कर चुका है. शून्यी शुद्ध एनपीए के साथ एनसीडीसी सभी राज्यों में अपने 18 क्षेत्रीय निदेशालयों के साथ अखिल भारतीय उपस्थिसति दर्ज कर चुका है .
इसी प्रकार, डॉयचे बैंक निगमों, सरकारों एवं अन्य को कॉर्पोरेट व बैंक लेन-देन, ऋण, केंद्रित निवेश बैंकिंग के साथ-साथ खुदरा एवं निजी बैंकिंग प्रदान करता है. गत 40 वर्षों में, डॉयचे बैंक भारत के सबसे बड़े विदेशी बैंकों में से एक बन गया है, जिसकी देशभर के 16 शहरों में शाखाएँ हैं. शपारिया ने कहा कि बैंक ने समाज एवं लोगों की बेहतरी के लिए सामान्या लक्ष्य की प्राप्ति हेतु एक जैसी विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम किया .
इस कार्यक्रम में आदित्य बागड़ी, इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स कमेटी के सह-अध्यक्ष ने अपने विचार व्यकक्तए करते हुए कहा कि कृषि- व्यापार एवं खाद्य प्रसंस्करण विषय पर आईसीसी-एनसीडीसी समझौता ज्ञापन का विशेष ध्यान एफ.पी.ओ. द्वारा निर्यात संवर्धन पर केंद्रित होगा .