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अदन की खाड़ी में जहाज पर फिर हुआ अटैक, रक्षा कवच बना आईएनएस विशाखपट्टनम-अलर्ट मिलते ही हुआ एक्शन

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अरब सागर में अदन की खाड़ी में मर्चेंट शिप पर हमले का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी कड़ी में एक बार फिर जहाज पर ड्रोन अटैक किया गया, जिसके चलते जहाज में आग लग गई. हालांकि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया. जहाज पर मार्शन आईलैंड का फ्लैग लगा हुआ था. भारतीय नौसेना से बताया कि हमला रात को करीब 11 बजकर 11 मिनट पर हुआ था. जहाज पर कूल 22 क्रू मेंबर्स सवार थे, जिसमें 9 भारतीय भी थे. हमले में किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है.

भारत की नौसेना ने वॉरशिप विशाखापट्टनम को मदद के लिए भेजा था. समुद्र में जहाजों पर हूतियों और समुद्री लुटेरों के हमले का असर भारत पर भी पड़ रहा है. दोनों गुटों ने कई बार भारत आ रहे जहाजों को निशाना बनाया है. भारतीय नौसेना के एक बयान के अनुसार, आईएनएस विशाखापत्तनम, जो अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी गश्त कर रहा था, उसने बुधवार रात 11:11 बजे ड्रोन हमले के बाद मार्शल द्वीप के ध्वज वाले एमवी गेनको पिकार्डी जहाज के एक इमरजेंसी कॉल पर तुरंत कार्रवाई करते हुए मदद की.

बता दें कि बीते कुछ महीनों से ईरान समर्थित हूथी समुदाय के लड़ाके लगातार मर्चेंट शिप को निशाना बना रहे हैं. जिसके चलते अमेरिका-ब्रिटेन सहित कई देशों ने मिलकर यमन में हूती के ठिकानों एयर स्ट्राइक किया. वहीं भारत ने इन दोनों जगहों पर अपने युद्धपोत तैनात कर दिए हैं. बीते 4 जनवरी को सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने अरब सागर में लाइबेरिया के फ्लैग वाले लीला नोफोर्क जहाज को हाईजैक कर लिया था. जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स पोर्टल पर एक मैसेज भेजा था. इसमें कहा गया था कि 4 जनवरी की शाम को 5-6 समुद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे थे.

इस बात की जानकारी मिलते ही भारतीय नौसेना ने हाईजैक किए गए जहाज को छुड़ाने के लिए वॉरशिप INS चेन्नई और मैरीटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P81 को रवाना किया गया था. इसके बाद इसमें सवार सभी 15 भारतीयों सहित कुल 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित बचाया गया था. जबकि इससे पहले 23 दिसंबर को हिंद महासागर में भारत आ रहे मालवाहक जहाज केम प्लूटो पर हमला हुआ था.

सऊदी अरब से तेल लेकर भारत आ रहा यह जहाज जापान का था. वहीं बीते 14 दिसंबर को समुद्री लुटेरों ने माल्टा के एक जहाज को हाईजैक कर लिया था. इसके बाद भारतीय नौसेना ने अपने एक युद्धपोत को अदन की खाड़ी में हुए एमवी रुएन की मदद के लिए भेजा था.

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