नैनीताल में रविवार से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश आफत बनकर बरस रही है. बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. जगह-जगह भूस्खलन से राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई सड़कें बंद हो गई हैं.
वाहन चालकों और यात्रियों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा है. कुमाऊं की लाइफ लाइन ज्योलीकोट-कर्णप्रयाग एनएच पर 10 घंटों से यातायात ठप है. इस कारण दोनों तरफ दर्जनों वाहन फंसे हुए है.
नैनीताल में अक्टूबर महीने में हुई बारिश ने आज तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. हालत यह हो गई कि नैनीझील इतनी उफना गई कि झील के इसके दोनों निकासी गेट खोलने पड़े.
वह भी डेढ़ फीट की अपनी पूरी क्षमता के अनुसार खोलने पड़े. इसके बावजूद रात तक माल रोड और नैना देवी मंदिर परिसर में झील का पानी हिलोरे मारता रहा.
आमतौर पर सितंबर में मानसून की विदाई के बाद अक्तूबर में नैनीझील का जलस्तर काफी घट जाता है. 18 अक्तूबर की तिथि में 2020 में यह 8 फीट 6 इंच, 2019 में 8 फीट 8 इंच, 2018 में 11 फीट, 2017 में 10 फीट 3 इंच, 2016 में 7 फीट 7 इंच, 2015 में 8 फीट 5 इंच, 2014 और अतिवृष्टि वाले 2013 दोनों में जलस्तर 10 फीट 5 इंच रहा. लेकिन सोमवार को झील का जलस्तर काफी बढ़ गया.
झील के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार सिंचाई विभाग के ईई केएएस चौहान ने बताया कि अक्तूबर में झील का पानी उच्चतम स्तर 12 फीट तक पहुंचा है. नैनीताल में कल से अब तक 150 मिमी से ज्यादा वर्षा हो चुकी है और यदि पूर्वानुमान के अनुसार यह रात में जारी रही तो यह अक्तूबर में सर्वाधिक वर्षा का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बन जाएगा.
सोमवार सुबह सात बजे वीरभट्टी पुल पर आए मलबे के दलदल में अल्मोड़ा को सामग्री लेकर जा रहा ट्रक फंस गया. वहीं हल्द्वानी को आ रही एक वैगन आर भी इसी दलदल में फंस गई.
दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई. मोटर मार्ग में मलबा हटाने के लिए विभाग को एक जेसीबी के इंतजाम में ही पांच घंटे लग गए. बमुश्किल 12 बजे जेसीबी पहुंची लेकिन मूसलाधार बारिश और पहाड़ी से लगातार आ रहे मलबे के कारण फंसे ट्रक को नहीं निकाला जा सका.
उधर, भवाली-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग में भौर्या मोड़ के पास थुवा की पहाड़ी से भारी भूस्खलन चलते बोल्डर पत्थर गिरने से मार्ग बाधित हो गया. मार्ग बंद होने पर खैरना चौकी पुलिस ने हल्द्वानी की तरफ से आने वाले वाहनों को रानीखेत होते हुए भेजा.