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‘मुंबई की बत्ती गुल’ के पीछे चीनी साइबर अटैक, अमेरिकी अखबार का दावा

प्रतीकात्मक फोटो

12 अक्टूबर, 2020 को मुंबई में ग्रिड की खराबी के कारण बड़े पैमाने पर बिजली की कटौती हुई, ट्रेनों को पटरियों पर रोक दिया गया, जिससे कोविड-19 महामारी के बीच घर से काम करने वालों को बाधा पहुंची और आर्थिक गतिविधियों को रोकना पड़ा.

एक चीनी सरकार से जुड़े हैकर्स के समूह ने भारत के महत्वपूर्ण पावर ग्रिड सिस्टम को मैलवेयर के माध्यम से लक्षित किया, जिसके बारे में मैसाचुसेट्स स्थित कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर ने अपने नवीनतम अध्ययन में बताया था.

रिकॉर्डेड फ्यूचर, जो स्टेट एकटर्स द्वारा इंटरनेट के उपयोग का अध्ययन करता है, ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चीन से जुड़े खतरे गतिविधि समूह रेड इको द्वारा भारतीय बिजली क्षेत्र को लक्षित करने वाले अभियान के बारे में बताया गया है.

राज्य सरकार ने इस मामले की जांच कराई थी, वहीं अब इस बिजली गुल को लेकर हाल ही में अमेरिकी अखबार की खबर में ये दावा किया गया कि वो पावर कट एक साइबर अटैक था, जो चीन ने कराया था.

अब इस तरह की मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर महाराष्ट्र सरकार एक्शन मोड में आ गई है. दरअसल, राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने साइबर विभाग से इस पूरे मामले पर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.

ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा किए गए आकलन के अनुसार, चीनी कंपनी रेड इको से साइबर खतरे का कोई प्रभाव नहीं था. मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा “पोस्को द्वारा बताए गए खतरे के कारण किए गए कार्यों में से किसी पर कोई प्रभाव नहीं है. इन घटनाओं के कारण कोई डेटा उल्लंघन या डेटा के नुकसान का पता नहीं चला है.”

मंत्रालय ने अपनी जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा समय पर कार्रवाई की वजह से खतरा टल गया था. सीईआरटी-इन, एनसीआईआईपीसी, सीईआरटी-ट्रांस आदि एजेंसियों द्वारा मिल रह इनपुट या निर्देशों के आधार पर पोस्को द्वारा संचालित सभी कंट्रोल सेंटर्स पर सीआईएसओ द्वारा जरूरी और तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं.

इसके तुरंत बाद, इन खतरों को दूर करने के लिए कार्रवाई की गई. NCIIPC ने 21 फरवरी को एक मेल के माध्यम से मंत्रालय को शैडो पैड नामक मालवेयर के माध्यम से रेड इको के खतरे के बारे में सूचित किया.

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