एक नज़र इधर भी

मुगल गार्डन का दीदार करने के लिए रहिए तैयार, कल से आम जनता के लिए खुलेंगे द्वार

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आज कुछ ऐसी चर्चा की जाए जिससे मन में सुकून का एहसास हो. लेकिन इस भागमभाग भरे जीवन में क्या बात की जाए ? चलिए आपको राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन लिए चलते हैं, अरे, यहां तो खिलखिलाते फूलों को आपके करीब लाने की तैयारी चल रही है.

आइए आपको बताते हैं यह तैयारी क्यों है.‌ जी हां कल यानी 13 फरवरी को राष्ट्रपति भवन का विश्व प्रसिद्ध मुगल गार्डन आपकी प्रतीक्षा कर रहा है.‌ बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले आपको बता दें कि फरवरी महीना आते ही यह मुगल गार्डन अपने ‘यौवन’ में आ जाता है. पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के कारण ये गार्डन आम जनता के लिए समय से पहले ही बंद कर दिया गया था.मुगल गार्डन आम लोगों के लिए 13 फरवरी से खुलने जा रहा है, जो 21 मार्च तक खुला रहेगा.

अब पर्यटक सुबह 10 से शाम 5 बजे तक जा खूबसूरत गार्डन का दीदार कर सकेंगे. इस बार थोड़ा नियमों में परिवर्तन किया गया है. एक बार में केवल 100 लोगों को प्रवेश दिया जाएगा और इसके लिए इच्छुक लोगों को राष्ट्रपति भवन की आधिकारिक वेबसाइट से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा, यह पूरी तरह नि:शुल्क होगा.

आपको बता दें कि राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन अपनी बेशुमार खूबसूरती के लिए जाना जाता है. इस साल मौसमी फूलों की 70 किस्में, 20 तरह की डहलिया और गुलाब की 138 किस्में देखने को मिलेंगी. साथ ही ‘राष्ट्रपति प्रणब’ नाम का पीला गुलाब भी लोग देख सकेंगे, जिसका रोपण साल 2017 में किया गया था.

मुगल गार्डन एक बार फिर आम लोगों के लिए खुलने जा रहा है. इस बार मुगल गार्डन ऐसे समय में खुलने जा रहा है, जबकि देश में कोरोना का प्रकोप बना हुआ है. हालांकि संक्रमण के मामलों में बीते कुछ समय में कमी आई है, लेकिन खतरा अब भी टला नहीं है. ऐसे में पर्यटकों के लिए इस बार खास दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं, जिसमें कोविड-19 से संबंधित नियमों का पालन अनिवार्य किया गया है.

13 एकड़ में फैले मुगल गार्डन में फूलों की अलग-अलग वैरायटी हैं
बता दें कि मुगल गार्डन लगभग 13 एकड़ भूमि में फैला है. इस बागीचे में फूलों की कई वैरायटी हैं तो यहां मौजूद शानदार फव्‍वारे भी लोगों का खूब ध्‍यान आकर्षित करते हैं. मुगल शैली में बने इस बाग का गौरव पूरी दुनिया में है. इस गार्डन को देखने के लिए देश-दुनिया भर के लोग हर साल पहुंचते हैं.‌

इसकी खूबसूरती के लाखों-करोड़ों पर्यटक मुरीद हैं. बता दें कि मुगल गार्डन में 12 अलग-अलग तरह के गार्डन हैं, जो अपनी गुणवत्ता व खूबसूरती के लिए मशहूर हैं. यहां आप रोज गार्डन, बायो डायवर्सिटी पार्क, म्यूजिकल फाउंटेन, हर्बल गार्डन, बटरफ्लाई, सनकीन गार्डन, कैक्टस गार्डन, न्यूट्रीशियन गार्डन व बायो फ्यूल पार्क की सैर कर सकते हैं. मुगल गार्डन में कई किस्म के गुलाब और ट्यूलिप के फूल भी मौजूद हैं, जिनकी छटा देखते ही बनती है. जापान और जर्मनी के फूलों का रंग भी देखने को मिलते हैं.

इस गार्डन में लगे कुछ फूलों को अब्राहम लिंकन, मदर टेरेसा, जवाहर लाल नेहरू, क्वीन एलिजाबेथ जैसी दुनिया की प्रसिद्ध हस्तियों का नाम भी दिया गया है. मुगल गार्डन बागवानी विभाग के प्रभारी पीएन जोशी ने बताया कि पर्यटकों के लिए इस बार गुलाब और जापानी फूल डबल स्टॉक खास आकर्षण होंगे. जोशी ने कहा कि मुगल गार्डन औषधीय जड़ी-बूटी का उद्यान भी है. यहां गिलोय सहित 40 किस्म के ऐसे पौधे हैं, जिन्हें कोविड पीड़ितों के लिए लाभकारी माना जाता है
मुगल गार्डन का इतिहास 100 वर्ष से भी अधिक पुराना, लुटियंस ने तैयार किया था नक्शा
राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का इतिहास 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है.‌ बता दें कि साल 1911 में जब अंग्रेजों ने राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाने का फैसला किया था, तब उन्होंने दिल्ली डिजाइन करने के लिए अंग्रेज वास्तुकार एडवर्ड लुटियंस को इंग्लैंड से भारत बुलाया गया था. उन्होंने दिल्ली आकर रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस (राष्ट्रपति भवन) का जो नक्शा तैयार किया, यहां ब्रिटिश शैली के बाग-बगीचे थे.‌

तब यहां भारतीय शैली के बगीचों का प्रस्ताव दिया गया, जहां से मुगल गार्डन के बारे में विचार आया. इसके लिए उन्होंने श्रीनगर में निशात बाग और शालीमार बाग देखे थे, जो की मुगल शैली में बने हुए थे. लुटियंस का डिजाइन किया गया भवन और मुगल गार्डन सभी को बहुत भाया. तभी से इस गार्डन को मुगल गार्डन नाम दिया गया, तब से मुगल गार्डन में कोई खास बदलाव नहीं आया, सिवाय कुछ बागवानी संबंधित सुधारों के.

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इस गार्डन में कोई बदलाव नहीं कराया, लेकिन उन्होंने इसे जनता के लिए खोलने की बात की, जिस वजह से ही हर साल फरवरी-मार्च में यह गार्डन आम जनता के लिए खोला जाता है. देशभर के लाखों पर्यटक मुगल गार्डन का दीदार करने के लिए हर साल इंतजार भी करते हैं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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