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36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास

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माफिया डॉन मुख्तार अंसारी

बुधवार को माफिया मुख्तार अंसारी को 36 साल पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. मामले में उस पर दो लाख दो हजार का जुर्माना लगा है. माफिया मुख्तार की सजा को लेकर 54 पेज का फैसला आया है.

फैसले के दौरान सफेद टोपी और सदरी पहने मुख्तार मुंह लटकाए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बांदा जेल से पेश हुआ. बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) का सरगना और माफिया मुख्तार को आठवीं बार सजा हुई है.

ये हुई सजा
आईपीसी 467/120 बी में उम्रकैद व एक लाख जुर्माना.
420/120 बी में 7 वर्ष सजा व 50 हजार जुर्माना.
468/120 बी में 7 वर्ष की सजा व 50 हजार जुर्माना.
आर्म्स एक्ट में 6 माह सजा व दो हजार जुर्माना.

विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने बुधवार को मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई. इस दौरान मुख्तार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया. इसी अदालत ने ही 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है. आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था. आरोप था कि गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था. फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.

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