व्यर्थ सियासत: मोदी-ममता के बीच ‘इंतजार की सियासत’ में बंगाल को यास से नुकसान पर राहत का इंतजार

राजनीतिक दलों के नेता बेकार के मुद्दों को सियासी तूल देकर ‘तमाशा’ बना डालते हैं. जिसका नुकसान सीधे जनता को भुगतना पड़ता है. अब ऐसे ही बंगाल में चक्रवात से प्रभावित हुए लोगों के साथ हो रहा है. टीएमसी-भाजपा की एक बार ‘सियासी जंग’ शुरू हो जाए तो आसानी से खत्म नहीं होती है. हाल ही में बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों पार्टियों के नेताओं की तरफ से देश ने ‘टकराव’ देखा.

अब ‘इंतजार की सियासत’ में पीएम मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच ‘सियासी घमासान’ मचा हुआ है. दो दिन से तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के नेता व्यर्थ के मुद्दे ‘इंतजार’ में उलझे हुए हैं. जबकि दूसरी ओर चक्रवात ‘यास’ से हुई तबाही और नुकसान के बाद बंगाल की जनता केंद्र और ममता सरकार से ‘सरकारी आर्थिक मदद’ का इंतजार कर रही है. लेकिन दोनों ओर से अभी भी बयानबाजी जारी है.

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बंगाल में हुए चक्रवात से नुकसान का जायजा लेने गए . कलाइकुंडा के एक गेस्ट हाउस में प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आधे घंटे देरी से आना और फिर राहत पुनर्वास के लिए 20 हजार करोड़ के पैकेज की मांग के पेपर सौंपकर उनका वहां से चला जाना भाजपा नेताओं को ‘रास’ नहीं आया. उसके बाद भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों ने ट्वीट कर कहा कि ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को आधे घंटे इंतजार कराना संवैधानिक मर्यादा के खिलाफ है.

गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के जवाब में ममता बनर्जी ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक बार फिर प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक का मुद्दा उठाया. बैठक में देर से पहुंचने पर ममता ने कहा कि ‘जब प्रधानमंत्री-मुख्‍यमंत्री के साथ होने वाली बैठक स्‍थल पर हम पहुंचे तो हमसे कहा गया कि पीएम कुछ देर पहले पहुंच चुके हैं और बैठक चल रही है, हमें बाहर इंतजार करने को कहा गया, कुछ देर हमने इंतजार करने के बाद जब दोबार अंदर जाने की अनुमति मांगी तो कहा अगले एक घंटे तक कोई नहीं जा सकता’. ‘ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री के पैर भी छूने को तैयार हैं’, अगर इससे जनता का भला होता हो.

ममता ने राज्‍य के मुख्‍य सचिव अलपन बंदोपाध्‍याय का दिल्‍ली ट्रांसफर रोकने का अनुरोध किया और कहा ऐसा करना देश भर के नौकरशाहों का अपमान है. मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि पिछले दो वर्षों से संसद में विपक्ष की जरूरत क्यों नहीं थी और गुजरात में इसी प्रकार की बैठक के लिए विपक्षी नेताओं को क्यों नहीं बुलाया गया? दीदी ने कहा कि इस तरह केंद्र सरकार उन्हें अपमानित करना बंद करे.

दो दिनों से चली आ रही पीएम मोदी और ममता बनर्जी के इंतजार की सियासत से चक्रवात से नुकसान और तबाही का आकलन पीछे रह गया है और जनता आर्थिक मदद के लिए इंतजार कर रही है लेकिन पहले बीजेपी और टीएमसी के बीच सियासी घमासान बंद हो तभी बंगाल के लोगों को फायदा मिल पाएगा.

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