श्रीनगर| जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने चाइना पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर में जम्मू कश्मीर को शामिल किए जाने की वकालत की है.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर 1947 से पहले व्यापार क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा था, लेकिन अब सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं.
उनका यह बयान भारत सरकार के उस रुख से बिल्कुल अलग है, जिसमें सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से सीपीईसी परियोजना के गुजरने का विरोध कर रही है.
भारत सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भी अपना हिस्सा बताती है और इसी आधार पर चीन की करोड़ों डॉलर की इस परियोजना को भारत सरकार की मंजूरी के बगैर क्षेत्र में ले जाने का विरोध कर ही है.
अब महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर को सीपीईसी परियोजना में शामिल किए जाने की वकालत की है, जिसे विवादित टिप्पणी के तौर पर देखा जा रहा है. पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘हमने कहा है कि हमें सीपेक (CPEC) का हिस्सा होना चाहिए, क्यों नहीं? जम्मू-कश्मीर 1947 से पहले व्यापार क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा था, हमारे सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं.’
पीडीपी प्रमुख ने एक बार फिर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की और कहा कि गुपकर गठबंधन देश के संविधान के दायरे में रहकर इसके लिए सघर्ष कर रहा है.
श्रीनगर में पार्टी के एक कार्यक्रम में महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करके सरकार ने संविधान का अपमान किया है. उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, ‘आप बंदूक के बल पर कब तक शांति बनाए रख सकते हैं?’
इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक फायदे के लिए एनआईए, ईडी और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल ‘हथियार’ के तौर पर करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी उनके दोस्तों, परिवार के सदस्यों और पार्टी के सहयोगियों के खिलाफ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर उन्हें परेशान कर रही है.
पीडीपी प्रमुख ने कहा था कि बीजेपी को सियासी तौर पर मुकाबला करना चाहिए और एजेंसियों का दुरुपयोग बंद करना चाहिए.