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सियासी दांव: साल 2007 की तर्ज पर मायावती ब्राह्मण समाज को रिझाने के लिए आयोजित करेंगी सम्मेलन

बढ़ सकती है रालोद, सपा की मुश्किल
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पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे के बाद सपा, कांग्रेस और बसपा भी सक्रिय हो गई हैं. उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजधानी लखनऊ में मानसून के बीच सियासी तापमान ‘गर्म’ होना शुरू हो गया है.

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी पिछले तीन दिनों से प्रदेश की सियासत की नब्ज टटोलने में लगी हुईं हैं. प्रियंका गांधी ने भी यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ‘गठबंधन’ के संकेत दिए हैं. वहीं सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पार्टी कर्यकर्ताओं के साथ रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

पिछले दिनों सपा कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार के खिलाफ जिला मुख्यालयों पर पंचायत चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर प्रदर्शन भी किया था. कांग्रेस-सपा की तैयारियों के बीच बसपा ने भी अपने चुनावी ‘पत्ते’ खोलने शुरू कर दिए हैं.

पार्टी प्रमुख मायावती ने रविवार को एक बार फिर से 14 साल पुराने (साल 2007) फार्मूले पर ‘दांव’ चल दिया है. यानी एक बार फिर बसपा चीफ ‘ब्राह्मणों को साधने’ में जुट गई हैं. मायावती ‘ब्राह्मण सम्मेलन’ शुरू करने जा रहीं हैं. इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और रणनीतिकार सतीश चंद्र मिश्र ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है.

यहां हम आपको बता दें कि बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन 23 जुलाई से अयोध्या से शुरू होगा. सतीश चंद्र मिश्र अयोध्या में मंदिर दर्शन से ब्राह्मणों को जोड़ने की कवायद शुरू करेंगे. पहले चरण में 23 जुलाई से 29 जुलाई तक लगातार छह जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे . इन ब्राह्मण सम्मेलनों का नेतृत्व सतीश चंद्र मिश्र ही करेंगे.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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