यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने अंसारी बंधुओं पर बड़ा फैसला लिया हैं. बसपा सुप्रीमो ने बांदा जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को पार्टी से हटाते हुए उनकी जगह आजमगढ़ मण्डल की मऊ विधानसभा सीट से यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है.
शुक्रवार को मायावती ने ट्वीट कर कहा, बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए. इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मण्डल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है.
उन्होंने आगे कहा, जनता की कसौटी व उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत ही लिए गए. इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो.
मायावती कहती हैं कि बीएसपी का संकल्प ’कानून द्वारा कानून का राज’ के साथ ही यूपी की तस्वीर को भी अब बदल देने का है ताकि प्रदेश व देश ही नहीं बल्कि बच्चा-बच्चा कहे कि सरकार हो तो बहनजी की. ’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ जैसी तथा बीएसपी जो कहती है वह करके भी दिखाती है यही पार्टी की सही पहचान भी है.
खबरों की माने तो चुनावों से पहले मुख्तार अंसारी और उनका परिवार भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकता है. इसके साथ ही साथ मुख्तार अंसारी के तीसरे भाई अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही इस बार का चुनाव लड़ सकते हैं.
हालांकि अफजाल अंसारी अभी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर पूर्वांचल की गाज़ीपुर सीट से सांसद है. वैसे यह कोई पहली बार नहीं होगा, जब मुख्तार अंसारी को बीएसपी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.
मुख्तार ने अपने सियासी करियर की शुरुआत बीएसपी से ही की थी. 1996 में वह हाथी की सवारी कर वह पहली बार विधानसभा पहुंचा था. हालांकि कुछ दिनों बाद ही मायावती ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया था.